गोण्डा-सरकार की योजनाओं में सहयोग न करने वाले बैंक अब डीएम के निशाने पर आ गए हैं। जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने चेतावनी दी है कि ऐसे बैक जो सरकार की योजनाओं का लाभ जनता को देने में आनाकानी कर रहे हैं, उन बैंकों से सरकारी खाते हटा लिये जाएगें। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि जरूरतमंद और पात्रों को योजनाओं का लाभ मिले परन्तु कुछ बैंकों द्वारा इसमें मनमानी की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं, यह कर्तई स्वीकार्य नहीं हैं।
डीएम मार्कण्डेय शाही की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक आयोजित हुई जिसमें उन्होंने सभी बैंकों के प्रबंधकों को सख्त निर्देश दिए कि स्वयं सहायता समूहों को बैंक स्तर से पूरा सहयोग प्रदान किया जाए, इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड के लम्बित आवेदनों को निस्तारित कर पात्र कृषकों को केसीसी ऋण मुुहैया कराएं।
समीक्षा बैठक में ज्ञात हुआ कि बैंकवार ऋण जमा अनुपात में बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। डीएम ने संबंधित बैंकों के मुख्य प्रबन्धकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। इसी प्रकार वार्षिक ऋण योजना 2020-21 में पंजाब एण्ड सिंध बैंक, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक आफ महाराष्ट्रा और स्टेट बैंक आफ इन्डिया की स्थिति सबसे खराब है जबकि किसान क्रेडिट कार्ड में यूको बैक, बैंक आफ महाराष्ट्र, पंजाब एण्ड सिंध बैंक और आईडीबीआई बैंक की परफारेन्स सबसे खराब है। डीएम ने सभी संबंधित बैंक प्रबन्धकों से जवाब तलब किया है। बैठक में डीएम ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड अप इण्डिया ऋण योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ओडीओपी सहित अन्य योजनाओं की समीक्षा की तथा प्रगति लाने के निर्देश दिए। लम्बित आवेदनों पर असंतोष व्यक्त करते हुुए उन्होंने सभी बैंकों को सख्त चेतावनी दी है कि लम्बित आवेदनों को निस्तारित कर पात्रों को ऋण उपलब्ध कराएं, अन्यथा इसका विशेष संज्ञान लेकर अपेक्षित कार्यवाही की जाएगी।
बैठक में सीडीओ शशांक त्रिपाठी, एलडीएम दशरथी बेहरा, उप निदेशक कृषि डा0 मुकुल तिवारी, नाबार्ड के अधिकारी तथा बैंकों के प्रबंधक उपस्थित रहे.
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