यहाँ एक मंच व एक ही माइक से होती थीं दो प्रत्याशियों की जनजनसभाएँ,बदला जाता था केवल झंडा व बैनर

करनैलगंज/गोण्डा - घंटाघर के मैदान में अब किसी की कोई चुनावी सभा नहीं होती है, एक समय था जब यहां पर सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी जनसभा का आयोजन करने को आतुर रहती थीं। पर आज यहां सन्नाटा फैला हुआ है कारण क्या है ?  चुनाव आयोग की बंदिशें या लोगों के पास समय का अभाव या फिर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार के क्षेत्र को बढ़ावा मिलना । फिलहाल कारण कोई भी हो पर अब यहां पहले जैसी चुनावी रौनक अब नहीं दिखाई देती, आसपास के रहने वाले लोग बताते हैं कि एक दौर था और लोगों में इतना सामंजस्य होता था कि यहां पर एक पार्टी की जनसभा होती थी और कुछ ही देर बाद दूसरी पार्टी की भी इसी जगह जनसभा होती थी,पर लोगों में आपसी सामंजस्य इतना ज्यादा था कि कभी कोई विवाद नहीं हुआ एक पार्टी के झंडे और बैनर उतरते थे तो दूसरी के लग जाते थे वही माइक वही मंच केवल बदले जाते थे तो केवल  झंडे और बैनर। लोग बताते हैं कि यहाँ आयोजित जन सभाओं में कुछ लोग ऐसे भी होते थे जो सभी पार्टियों की जनसभाओं में शामिल होते थे और उसमें मौजूद वक्ताओं की बातों का चिंतन और मनन करते थे और उन जनसभाओं में वक्ताओं द्वारा किए गए प्रश्नों का हल निकालते थे और उसका अगली चुनावी जनसभा में उत्तर देते थे। आसपास बनी चाय और पान की दुकान में यह लोग बैठ जाते थे और स्लीपर सेल की तरह काम करते थे,वह जिस पार्टी के समर्थक होते थे अपने नेताओं तक जनसभा में कही गई बातों को पहुंचाते थे। लेकिन आज के इस दौर में यहां पर सन्नाटा पसरा है। अब यहाँ ना ही कोई झण्डा व बैनर दिखाई दे रहा है और ना ही किसी पार्टी की जनसभा का मंच। अब इसकी केवल कल्पना मात्र की जा सकती है। क्या वह यादें कभी लौट पाऐंगी। यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा। जो भी हो पर उस दौर की बात ही कुछ और थी आज तो बस हर व्यक्ति अपना स्वार्थ साधने में लगा हुआ है।

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form