गोण्डा - घर के दक्षिण-पूर्व कोण में लगाने से बरकत बढती है. व अचानक कष्ट नहीं आता है.यदि मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधा-कृष्ण कि मूर्ती के मुकुट में ४० दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन मक्खन-मिश्री का भोग सांयकाल को लगाए, ४१वें दिन उसी मोर के पंख को मंदिर से दक्षिणा-भोग दे कर घर लाकर अपने खजाने या लाकर्स में स्थापित करें. तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि धन,सुख-शान्ति कि वृद्धि हो रही है. सभी रुके कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे है.
काल-सर्प के दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में अद्भुत क्षमता है.काल-सर्प वाले व्यक्ति को अपने तकिये के खौल के अंदर 7 मोर के पंख सोमवार रात्री काल में डालें तथा प्रतिदिन इसी तकिये का प्रयोग करे. और अपने बैड रूम की पश्चिम दीवार पर मोर के पंख का पंखा जिसमे कम से कम 11 मोर के पंख तो हों लगा देने से काल सर्प दोष के कारण आयी बाधा दूर होती है.
बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखो की भी हवा बच्चे को लगे धीरे-धीरे हठ व जिद्द कम होती जायेगी.
मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है. यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष कभी भी नहीं परेशान करता है. तथा घर में सर्प, मच्छर, बिच्छू आदि विषेलें जंतुओं का भय नहीं रहता है.नवजात बालक के सिर की तरफ दिन-रात एक मोर का पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक डरता नहीं है तथा कोई भी नजर दोष और अला-बला से बचा रहता है। यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्री में उसका नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात भर रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये धोए चलते पानी में बहा देने से शत्रु, शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है. इस प्रकार के अनेकों प्रयोगों का धर्मशास्त्रों में वर्णन मिलता है|
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ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
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