गोण्डा - मातृभूमि से प्रेम करने वाले बाहर रह रहे लोगों के लिए प्रदेश सरकार शानदार पहल करते हुए मातृभूमि योजना लागू की गई है। अब अपने गांव से दूर रहकर भी अपने गांव के विकास में लोग अपना सार्थक योगदान दे सकेगें।
जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जिले से बड़ी संख्या में लोग ग्रामीण परिवेश से निकलकर देश के विभिन्न शहरों में व विदेशों में कार्यरत हैं। ग्राम में निवासरत व बाहर गए सुविधा सम्पन्न लोग अपने गाँव के विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं, लेकिन कोई व्यवस्थित प्लेटफार्म उपलब्ध न होने की वजह से वांछित स्तर का सहयोग व योगदान प्रदान नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए सरकार द्वारा अभिनव पहल करते हुए मातृभूमि काी शुरूआत की गई है। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति, निजी संस्था किसी ग्राम पंचायत में विकास कार्य, अवस्थापना सुविधा का विकास व पंचायतराज अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत अनुमन्य ग्राम पंचायतों में कार्यों को कराना चाहते हैं, करना चाहते हैं, और कार्य की लागत का 60 प्रतिशत की धनराशि वहन करने के इच्छुक हैं तो शेष 40 प्रतिशत धनराशि की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आकार व प्रकार का शिलापट्ट प्लेक सहयोग करने वाले व्यक्ति, संस्था के प्रस्तावानुसार उस भवन अथवा अवस्थापना सुविधा के ऊपर उपयुक्त स्थान पर प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना का नाम उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना रहेगा।
उन्होंने कहा कि समस्त कार्य क्षेत्रों में प्रभावी विकास करने के लिए और आवश्यक अवस्थापना सुविधाओं के सृजन के लिए अगर शासकीय धन व योजनाओं के साथ-साथ निजी सहभागिता को बढ़ाया जाए तो कार्य में तेजी आ सकती है। कार्य तेज गति से होने के साथ-साथ उसमें गुणात्मक सुधार और नए तकनीकी व विचार का समावेश भी हो सकता है। निजी निवेश, तकनीकी सहयोग एवं सुपरविजन उपलब्ध होने से कार्यों की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी होगी।
योजना के तहत लिए जाने वाले जो निर्माण कार्यों में स्कूलों व इण्टर कालेज की कक्षाओं का निर्माण या स्मार्ट क्लासेस की स्थापना व संचालन, सामुदायिक भवन, विवाह हेतु मैरिज हॉल, स्किल सेन्टर का निर्माण व संचालन, प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, उप चिकित्सा केन्द्र भवन, साज-सज्जा, उन्नयन उपकरण आदि की व्यवस्था, आंगनबाड़ी - मध्यान्ह भोजन का रसोईघर भण्डारण गृह, पुस्तकालय, ऑडीटोरियम, खेलकूद स्टेडियम के लिए व्यायाम शाला और उपकरण, ओपन जिम, सी.सी.टी.वी. कैमरा, सर्विलांस सिस्टम, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, अन्त्येष्टि स्थल का निर्माण विकास, जल उपचारण की व्यवस्था एवं सीवरे व एस.टी.पी. सिस्टम, ड्रेनेज सिस्टम व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट, सोलर एनर्जी, स्ट्रीट लाईट, पेयजल व्यवस्था, एल.ई.डी. लाईट, पशु सुधार नस्ल केन्द्र की स्थापना व संचालन, फायर सर्विस स्टेशन की स्थापना व तालाब का सौंदर्यीकरण, ड्रेनेज व्यवस्था, जल संरक्षण के कार्य, बस स्टैण्ड, यात्री शेड, ग्रामीण आर्टिशन के लिए अवस्थापना सुविधाएं व मार्केटिंग की व्यवस्था, दुग्ध संग्रह केन्द्र एवं बल्क मिल्क कूलर व समितियों का विकास, चारागाह विकास, गरीबी उन्मूलन हेतु कार्य एवं सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल की प्राप्ति के लिए कार्य अन्य विकास व जनोपयोगी कार्य। करा जा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही पंचायत राज अधिनियम की धारा 15 के अन्तर्गत अनुमन्य कार्य क्षेत्र के कार्य भी कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि योजना के अन्तर्गत दर्शाए गए कार्यों के लिए निर्धारित लागत में से दानकर्ता व दानकर्तागण अपने गाँव में 60 प्रतिशत या उससे अधिक राशि का दान देकर कार्य सम्पन्न करवा सकेंगे। दानकर्ता द्वारा दी गयी राशि के बाद शेष 40 प्रतिशत राशि के अनुदान की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मातृभूमि सोसायटी का गठन किया जाएगा। इस सोसायटी के अन्तर्गत अधिकृत शासी संस्था और सशक्त समिति बनाई जाएगी।
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