गोण्डा - जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने ग्राम प्रधानों को विकास के नए आयाम स्थापित करने, योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने, जनपद के विकास में जन- जन की सहभागिता तथा ग्राम प्रधानों को विकास पुरुष की भूमिका के निर्वाह के लिए उन्हें पुनः बधाई देते हुए अपनी ओर से पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि-
प्रिय प्रधान जी, आपको पुनः बधाई। ग्राम पंचायत की समितियों का अब गठन हो चुका होगा । समय है अब विकास को गति देने का , अपनी क्षमता , योग्यता और नेतृत्व देकर गाँव के विकास की इबारत लिखने व विकास मुखिया कहलाने का । आइए इसे साकार करने हेतु दो कदम चलें परन्तु कैसे .. ? गाँव की अपनी कोटे की दुकान हो , सभी पात्र के राशनकार्ड हो , विना प्राक्सी के, ई- पास मशीन से पूरी मात्रा में व नियत दर पर अनाज मिले , कोई भूखा न सोए ।
सभी बुजुर्गजन , विधवा महिलाएं , दिव्यांगजन को पेंशन मिले , शादी अनुदान मिले , गरीबों की बिटिया के हाथ मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत , पीले हो , बच्चियों को कन्या सुमंगला योजना का लाभ मिले , वे सुरक्षित रहें , पलें , पढ़ें और आगे बढ़ें ।
अध्यापक स्कूल आयें, सभी बच्चे को स्कूल जाएं, किताबें, बैग, ड्रेस, स्वेटर, जूते- मोजे नि:शुल्क मिले, मीनू के अनुसार पोष्टिक भोजन मिले और उन्हें अच्छी तालीम मिले। स्कूल व आंगनबाड़ी का कायाकल्प हो। बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र जाएं, उनका वजन हो, उन्हें पुष्टाहार दलिया आदि मिले, वे कुपोषित न रहें। एएनएम सेंटर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का कायाकल्प हो, स्टाफ की उपस्थिति रहे। बच्चे, बच्चियों, किशोरियों- महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच हो, उन्हें सभी टीके लगे और दवाइयां मिले। सभी संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का पंजीयन हो और उन्हें श्रम विभाग व अन्य विभाग की योजनाओं का लाभ मिले। सभी पात्र व्यक्तियों के सर पर छत हो, खेती व घर बनाने के लिए भूमि आवंटित हो, गांव सभा, सरकारी भूमि अवैध कब्जा मुक्त हो, अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं, तालाबों का संरक्षण हो, मछली पालन, कुम्हारी कला, सिंघाड़ा, पान आदि की खेती हो। महिलाओं के समूह बनाए, उन्हें ट्रेनिंग दिलाएं, मशरूम, शहद, रेशम कीट पालन, डेयरी, बकरी, मुर्गी पालन, सिलाई - कढ़ाई, ऑर्गेनिक सब्जियों/ अनाज की खेती हेतु प्रेरित करें। गांव में सभी को ट्रेनिंग मिले, रोजगार मिले, परिसंपत्तियां सृजित/ संरक्षित हो, सब खुशहाल हो।
बायो-गैस, बायो-उर्वरक बायो, वर्मी-कंपोस्ट, वेस्ट के सही उपयोग से स्वच्छ कर वातावरण सृजन कर, गांव की सड़कों व गलियों की सफाई, जलभराव वाले क्षेत्रों में छिड़काव, फागिंग, शुद्ध पेयजल, कूड़ा निस्तारण से गांव को स्वच्छ, स्वस्थ व सुंदर बना सकते हैं।
विवाद आपस में ही सुलझा लिए जाएं, न कोई रपट और न कोई मुकदमा हो। आपका एक सुंदर सा सचिवालय हो जहां सचिव, सफाई कर्मी, लेखपाल, सींचपाल, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा, अध्यापक आदि सभी विभागों के फील्ड कार्मिक, मिले- बैठे और गांव के अभ्युदय वावत विमर्श करें, सभी सरकारी योजनाओं की चर्चा करें, पात्र ग्राम वासियों को लाभान्वित कराने की जुगत करें और वही स्थित गांव के अपने सीएससी के जरिए ऑनलाइन अप्लाई कराएं और लाभ दिलाएं।
कितना अच्छा होगा आपका गांव और आप होंगे विकास पुरुष! सच में यह हो सकता है। आप यह सब कर सकते हैं। बस ठान लेने और हार न मानने की जिद होनी चाहिए। आपमें यह सब कुछ है। बस संकल्प लीजिए और आगे आइए। हम आपके साथ हैं।
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