जिले में 31 अगस्त तक सभी नदियों में मत्स्य आखेट प्रतिबन्धित-डीएम

गोण्डा - ,जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने बताया है कि नदियों में मत्स्य आखेट हेतु ठेका - पट्टा का अधिकार दिये जाने सम्बन्धी राजस्व विभाग के शासनादेशनुसार 01 जून से 31 अगस्त तक नदियों में मत्स्य आखेट को प्रतिबन्धित रखे जाने एवं रिवर रैंचिग का प्राविधान है। उन्होंने शासनादेश के क्रम में प्रतिबन्धित अवधि में जनपद गोण्डा की सीनान्तर्गत आने वाली नदियों में मत्स्य बीज पकड़ने, नष्ट करने एवं मत्स्य शिकारमाही को प्रतिबन्धित किया है। इस अवधि में नदियों से मत्स्य बीज निकासी एवं मत्स्य शिकारमाही की चेकिंग हेतु राजस्व विभाग / पुलिस विभाग की टीम ( निरीक्षक स्तर तक ) को अधिकृत किया गया है। निर्दिष्ट अवधि में जो भी व्यक्ति नदियों में मत्स्य बीज निकासी एवं मछलियों का अवैध शिकार / बिक्री करते पकड़ा जायेगा, उसके विरूद्व उ0 प्र0 फिशरीज एक्ट 1945 के नियम 6 के उप नियम ( 3 ) कोड आफ क्रिमिनल  प्रोसीजर 1996 के अन्तर्गत नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी तथा शासन के निर्देशानुसार मत्स्य विभाग के अधिकारियों की देख - रेख में 70 एम0 एम0 आकार की दो हजार मत्स्य अंगुलिकाएं प्रति कि0 मी0 की दर से भारतीय मेजर कार्प को नदी में पुर्नस्थापित करने के लिए रिवर रैचिंग करायी जायेगी। 
      ज्ञातव्य है कि वर्षा ऋतु में भारतीय मेजर कार्प मछलियाँ जैसे रोहू,  कतला, नैन तथा विदेशी कार्प जैसे ग्रासकार्प, सिल्वर कार्प व कामनकार्प आदि वर्षा ऋतु में प्रजनन करती हैं। इन मछलियों के सम्वर्धन व संरक्षण हेतु यू0 पी0 फिशरीज एक्ट 1948 में निहित प्राविधानों तथा शासनादेश के अंतर्गत मत्स्य - जीरा, फाई, फिंगरलिंग्स व 10 इंच तक की मछलियाँ पकड़ना तथा मत्स्य प्रजनन अवधि में तालाबों, झीलों, नालों एवं नदियों में मछली का पकड़ना, बेचना, आयात - निर्यात आदि पर जनपद की सीमान्तर्गत प्रतिबंध लगाया जाता है। जनपद के प्रतिबन्धित क्षेत्रों में छोटे जालों से मछली तथा मछली के बच्चों की निकासी करने तथा ऐसे समस्त उपकरण जिनसे शिकारमाही सम्भव हो, पूर्णतयः प्रतिबन्धित है।

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