करनैलगंज/गोण्डा -
जहाँ पूरा विश्व एक तरफ कोरोना नामक महामारी की चपेट में आकर बचाव हेतु तरह-तरह का उपाय कर रहा है,आमजनमानस को इससे बचाने के लिये केन्द्र व राज्य सरकार दिनोरात लगातार जुटी हुई हैं। जनप्रतिनिधियो तथा धर्मगुरुओं द्वारा अपने घरों में रहकर इस महामारी से बचने की लगातार अपील की जा रही है वहीं करनैलगंज क्षेत्र के लालेमऊ निवासी बुजुर्ग साहित्यकार रामकुशल सिंह वैद्य द्वारा स्वरचित रचना भी इस खतरनाक दौर में लोगो को कुछ इसी तरह जागरूकता का संदेश दे रही है।
कोरोना, कोरोना ये कैसी बला है।
पता ये चला चाईना से चला है।।
अगर सांस लेने में हो परेशानी,
सर्दी जुखाम ज्वर आंखों में पानी,
छीक आये फटा - फट गला भी रुधा है।
कोरोना कोरोना ये कैसी बला है।।
बदन दर्द सिर दर्द फ्लू सी निशानी,
बहुत छीक आये और नाको से पानी,
सुना है कि इसकी न कोई दवा है।
कोरोना कोरोना ये ऐसी बला है।।
दवा सिर्फ इसकी रखो सावधानी,
बाहर न निकलो सहो परेशानी,
किसी से मिलो ना इसी में भला है।
कोरोना, कोरोना ये कैसी बला है।।
घर में रहो तब भी ये याद रखना,
एक मीटर की दूरी बनाए ही रखना,
करो प्यार भीतर से चुंबन मना है।
कोरोना कोरोना ये कैसी बला है।।
गूमा - गिलोय पत्ती कंजा की लावो,
तुलसी व अदरक मिर्च काली मिलाओ,
बना ककथ पियो सुरक्षा - कला है।
कोरोना कोरोना ये कैसी बला है।।
Bahut gajab nana
ReplyDeleteअतिसुन्दर
ReplyDelete