गोण्डा-आयुक्त देवीपाटन मंडल एसवीएस रंगाराव ने एनआईसी में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि उत्पादन आयुक्त उ०प्र० शासन की अध्यक्षता में खरीफ अभियान 2021 का आयोजन किया गया जिसमें इस बात पर बल दिया गया कि किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाकर खेती एवं उससे जुड़े अन्य क्रियाकलापों को बढ़ावा दिया जाए ताकि किसानों की खेती की लागत घट सके तथा उनकी आय में बढ़ोतरी हो सके। इसके साथ ही पराली प्रबन्धन पर तथा डिकम्पोजर के का प्रयोग करने के लिए किसानों को जागरूक करने के बारे में कृषकों को प्रोत्साहित किया जाय।
प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने वर्चुअल माध्यम से मंडलीय उत्पादकता खरीफ गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि एफपीओ से अधिक से अधिक किसान जुड़ेंगे, उन्हें समय पर कृषि यंत्र, बीज, खाद एवं अन्य सुविधाएं प्राप्त होंगी, साथ ही उन्हें उनके उत्पादों की मार्केटिंग की सुविधा भी मिल सकेगी जिससे उनको अच्छी आय होगी। उन्होंने उद्यान, पशुपालन, मत्स्य एवं अन्य कृषि कार्यों से जुड़े विभागीय अधिकारियों को जिला स्तर पर इसकी कार्ययोजना बनाकर प्रत्येक ब्लॉक में 2-2 एफपीओ गठित करने का निर्देश दिया है।
आयुक्त देवीपाटन मण्डल ने मंडलीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी-2021 में प्रतिभाग करते हुए मंडल की ओर से अवगत कराया कि देवीपाटन मंडल में खरीफ की मुख्य फसल धान एवं मक्का है तथा मंडल में किसानों द्वारा नगदी फसल के रूप में गन्ने की खेती की जाती है। मंडल में इस वर्ष खरीफ फसलों का आच्छादन 657855 हे0 तथा कुल उत्पादन 15.54 लाख मै0टन का लक्ष्य रखा गया है। गत वर्ष खरीफ का आच्छादन 637210 हे0 रहा तथा उत्पादन 14.51 लाख मै0टन प्राप्त हुआ। गत वर्ष की अपेक्षा 10.70 प्रतिशत अधिक उत्पादन का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने बताया कि मंडल में धान का आच्छादन लक्ष्य इस वर्ष 482591 हेक्टेयर तथा उत्पादन 13.14 लाख मै0टन एवं चावल की उत्पादकता का 27.23 कु0ध् हे0 प्रस्तावित किया गया है। जबकि गत वर्ष आच्छादन 477879 हे0 तथा उत्पादन 12.67 मै0टन एवं चावल की उत्पादकता 26.53 कु0ध्हे0 प्राप्त हुई। इस वर्ष चावल की उत्पादकता में 0.70 कु0ध् हे0 की वृद्धि प्रस्तावित की गई है, जो 10.26 प्रतिशत है। इसी प्रकार मक्का का आच्छादन इस वर्ष 142077 हे0 तथा उत्पादन 2.18 लाख मै0टन एवं उत्पादकता 15.40 कु0ध्हे0 प्रस्तावित किया गया है। जबकि गत वर्ष आच्छादन 132482 लाख हे0 तथा उत्पादन 17.06 लाख मै0टन एवं उत्पादकता 12.88 कु0हे0 प्राप्त हुआ था। इस वर्ष मक्का के उत्पादकता में 2.52 कु0हे0 की वृद्धि प्रस्तावित की गई है, जो 11.95 प्रतिशत है।
आयुक्त ने बताया कि देवीपाटन मण्डल के सभी जनपदों में बाढ़, जलभराव एक स्थायी समस्या है, जिसके कारण मण्डल में धान की फसलों की अत्यधिक क्षति होती है, किन्तु योजनांतर्गत धान के फसल की बाढ़ ध् जलभराव के कारण होने वाली क्षति में क्षतिपूर्ति देय नहीं है, जिससे कृषकों में काफी निराशा व्याप्त है। साथ ही साथ कृषकों द्वारा निरन्तर मांग की जा रही है कि जलभराव के कारण होने वाली क्षति हेतु ग्राम पंचायत का न्यूनतम 25 प्रतिशत क्षेत्रफल के जलभराव से प्रभावित होने की सीमा हटाई जाय। उन्होंने बताया कि मण्डल के जनपदों विशेषकर बलरामपुर एवं गोण्डा में गेहूँ का एक बड़ा क्षेत्रफल गन्ने की कटाई के उपरांत दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह एवं माह जनवरी में भी बुवाई किया जाता है, किन्तु फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रीमियम जमा करने की तिथि 31 दिसम्बर होने के कारण इनका क्षेत्रफल बीमित नहीं हो पाता है, इस संबंध में कृषकों द्वारा योजनांतर्गत प्रीमियम जमा करने की तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि जनपद गोण्डा में शासन द्वारा मक्का को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडेक्ट (ओ0डी0ओ0पी0) में शामिल कर लिया गया है। जनपद गोण्डा में रबी , खरीफ एवं जायद तीनों सीजन में मक्के की खेती की जाती है, जायद के सीजन में सामान्य बाजार मूल्य रू0 1000 प्रति कु0 है, जबकि वर्तमान में (न्यूनतम समर्थन मूल्य)एम०एस०पी० दर रू0 1850 प्रति कु0 है। जनपद गोण्डा में मक्का का सरकारी क्रय केन्द्र (छ।थ्म्क्) द्वारा मात्र खरीफ में मक्के की खरीद की जाती है। जबकि जनपद में तीनों सीजन में मक्के की खेती होने के कारण (न्यूनतम समर्थन मूल्य ) एम0एस0पी0 कृषकों को मिले, इसके लिए आवश्यक है कि कम से कम एक केन्द्र रबी, खरीफ एवं जायद के लिए खोला जाय। जिससे किसानों को उपज का उचित मूल्य मिल सके।
आयुक्त ने बताया कि मंडल के अंतर्गत लगभग 10000 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर केले की खेती होती है, जिसके लिए किसान अन्य प्रदेशों से पौधे लाते हैं। यदि मंडल में पौधे हेतु एक ’टिशू कल्चर प्रयोगशाला’ की स्थापना हो जाती है तो कृषकों को उससे बहुत लाभ होगा। उन्होंने बताया कि संकर धान एवं सामान्य धान की उपज में अधिक अंतर होने के कारण धान की फसल में क्राफ्ट कटिंग परिणामों के आधार पर देय क्षतिपूर्ति हेतु संकर एवं सामान्य धान की क्राफ्ट कटिंग अलग-अलग करायी जाने की मांग भी कृषकों द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि जनपद श्रावस्ती नवसृजित जनपद होने के कारण कृषि विभाग में राजकीय केंद्रीय बीज भंडार अथवा बफर गोदाम नहीं है। कृषि निवेशों के भंडारण हेतु कम से कम 500 मै0टन क्षमता का बफर गोदाम बनवाया जाए, जिससे कृषि निवेश आदि को रखने की व्यवस्था हो जाए। उन्होंने बताया कि जनपद बलरामपुर के विकासखंड तुलसीपुर, हरैया सतघरवा, गैसड़ी एवं पचपेड़वा पठारी क्षेत्रों में आते है। जिनमें भूमि के नीचे की सतह पथरीली (हार्ड पैन) होने के कारण केवल डीप बोरिंग ही सफल है। इसलिए आवश्यक है कि जनपद बलरामपुर में इन विकास खंडों में डीप बोरिंग के लक्ष्य को बढ़ाया जाए, जिससे कृषकों को अतिरिक्त सिंचाई की व्यवस्था प्राप्त हो सके।
आयुक्त ने पशुओं में टीकाकरण हेतु मांग के सापेक्ष शत प्रतिशत वैक्सीन उपलब्ध कराने, कृषि विभाग के रिक्त पदों को भरे जाने तथा कृषि निवेश में ऋण आदि की व्यवस्था हेतु सरकारी बैंकों द्वारा और अधिक रुचि लेकर कार्रवाई करने के संबंध में भी बताया गया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने बताया कि जनपद में डीएपी उर्वरक का पर्याप्त स्टॉक नहीं है, जिसकी उपलब्धता की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने फसली ऋण तथा किसान क्रेडिट कार्ड हेतु सरकारी बैंकों को सक्रिय करने, कृषि बीज संवर्धन हेतु कृषि प्रक्षेत्रों पर भंडारण की समुचित व्यवस्था कराने, जैविक उत्पाद हेतु जनपद में स्थापित 50-50 एकड़ के कलस्टर के कृषि उत्पादों को समुचित मार्केटिंग व्यवस्था कराए जाने तथा स्वयं सहायता महिला समूहों को मशरूम, रेशम व मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था कराए जाने तथा अन्य सुझावों से अवगत कराया। जिलाधिकारी बहराइच, बलरामपुर तथा श्रावस्ती ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने - अपने जनपदों से संबंधित जानकारी दी। प्रगतिशील कृषकों में गोंडा के श्री जेपी तिवारी, बहराइच के श्री बब्बन सिंह तथा श्रावस्ती के श्री अमृत लाल वर्मा ने भी अपने सुझाव दिए।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक कृषि पी.के. गुप्ता, उपनिदेशक कृषि मुकुल तिवारी, उपनिदेशक उद्यान अनीस श्रीवास्तव, जिला कृषि अधिकारी जेपी यादव, डिप्टी आरएमओ प्रज्ञा मिश्रा तथा जनपद के प्रगतिशील कृषकगण उपस्थित रहे।
Tags
Gonda