यही रात्रि अंतिम,यही रात्रि भारी,कौन करेगा विधानसभा पहुँचने की तैयारी

गोंडा - 

गोण्डा सदर
जनपद के तेजतर्रार व बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे विनोद कुमार सिंह उर्फ "पंडित सिंह" आज हम लोगों के बीच नहीं हैं,लेकिन उनकी साख का सवाल अभी भी जिंदा है। वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में राजनीति के धुरंधर व बाहुबली सांसद कैसरगंज बृजभूषण शरण सिंह जो अपने राजनीतिक चरमोत्कर्ष पर विराजमान हैं दोनों की प्रतिष्ठा एवं अस्तित्व का चुनाव परिणाम ईवीएम में कैद है। बता दें कि यह जनपद हमेशा से सहानुभूति और आस्था से जुड़ा रहा है जिसका परिणाम पूर्व में श्रीमती केतकी सिंह के चुनाव के समय चरितार्थ हो चुका है। अब देखना यह है कि गोंडा सदर की सीट पर इस बार जहां शक्ति के साथ बाहुबल व आस्था के सामने सहानुभूति एवं हर दिलों में अपना एक अलग स्थान बनाने तथा हर आदमी के सुख-दुख में शामिल में रहने वाले सरल व्यक्तित्व का चुनाव है। अब देखना यह होगा कि क्या व्यवहार संबंध या काम को दरकिनार करके जनता बाहुबल एवं आस्था को तरजीह देगी या फिर संबंधों और सहानुभूति को फिर से स्थान मिलेगा। ये आने वाला कल का वक्त बताएगा।

करनैलगंज
करीब चार दशकों से कर्नलगंज सीट जनपद की सबसे अधिक चर्चित और अहम सीट मानी जाती रही है। साथ ही इस सीट पर राजनैतिक प्रतिद्विंद्ता अपने शिखर पर रही है। यहां की राजनीति हमेशा दो ही परिवारों तक सीमित रही हैं। जहां एक परिवार राजघराना है तो दूसरी तरफ राजघराने के समतुल्य हैं। इन दोनों राजनीतिक घरानों की राजनीति में  समर्थकों की अलग-अलग पूंजी भी चर्चित रही है। इस बार के आम चुनाव में यहां के निवर्तमान विधायक कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया का बीजेपी ने टिकट काटकर एक नई राजनीतिक परवेश को जन्म दे दिया। राजनैतिक विसंगतियों के साथ अपने अस्तित्व को लेकर आज दोनों घराने एक साथ आ गये हैं। जिससे राजनीतिक पंडितों की सारी गणित फेल सावित होती दिख रही है। दोनों घराने अपने अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने में लगे है। अब देखना यह होगा कि सरकार द्वारा दिया जा रहा फ्री राशन, श्रीराम मन्दिर का भाव भारी पड़ेगा या राजघरानो का संगम गुल खिलाने में कामयाब होगा फिलहाल मुकाबला पूरी तरह रोमांचक दिख रहा है। और सबकी निगाहें आने वाले कल पर टिकी हैं।

 मनकापुर
   यह सीट भी कम रोमांचक नहीं है, जहाँ एक तरफ लोगों के सहारे की राजनीति करने वाले कई बार विधान सभा में बैठने वाले, कई बार सरकार में मंत्री रहने वाले तो वहीं दूसरी तरफ हमेशा दलितों की आवाज उठाने वाले, दलितों के मुद्दों पर संघर्ष करने वाले आमने सामने हैं। इस सीट पर "राजा" मनकापुर का भी खासा प्रभाव है जैसे नाव के दो किनारे कभी भी इकट्ठा नहीं हो सके उसी तरह यहाँ बीजेपी प्रत्याशी का हाल दिख रहा है और बीजेपी के लिए एक राहत की बात यह है कि बीजेपी प्रत्यासी से क्षत्रिय मतदाता व्यक्तिगत रूप से जुड़ा रहा है इसलिये देखना यह है कि क्षत्रियों की मदद बीजेपी को आगे बढ़ा पाती है या दलित शक्ति का परचम लहराता है। यह कल ही तय होगा।

 कटरा बाजार 
जनपद की एक सीट जो हमेशा ही सादगी पसन्द रही है। जनपद की एक मात्र यह ऐसी सीट है, जहाँ पर जातिवाद को जनता ने हमेशा नकारा है । जिसमे बीजेपी का टिकट अत्याधिक सादगी प्रिय व्यक्ति को मिला है और बीजेपी के विरोधी वोटो के ठीक से बंट जाने के कारण बीजेपी का पलड़ा कम नही आंका जा सकता है। तो वहीं सपा प्रत्याशी को मुस्लिम ब्राह्मण वोटों की भरमार सबकी गणित विगाड़ रहा है। बाकी सब कल जनता के अंतिम फैसले पर निर्भर है।

मेहनौन
इस सीट पर खानदानी चिर परिचित प्रतिद्वंदी आमने सामने हैं,और दोनों प्रतिद्वंद्वी एक ही वर्ग से आते हैं। दोनों के परिजनों का राजनीतिक इतिहास सदैव आक्रामक राजनीति वाला रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि यहां सरकार की योजनाएं जनता को अपने साथ ले जायेगी या महिलाओं का स्नेह जीतेगा या कल तय होगा।

तरबगंज 
 इस सीट पर विपक्षी पार्टी द्वारा उम्मीदवार का चयन ठीक से ना कर पाने की दशा में समाजवादी पार्टी यह सीट जानबूझ कर गवाती नजर आ रही है। रही बात कांग्रेस की तो कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारने में काफी देर की जिसके कारण यहाँ बीजेपी जीतती नजर आ रही है। फिलहाल अंतिम फैसला कल होगा।

गौरा
   जनपद की यह सीट निहायत रूप से "राजा " अन्नू भैया के वजूद से जुड़ी मानी जाती है। इस सीट पर अन्नू भैया के भारी विरोध के बाद भी बीजेपी ने अपना प्रत्याशी उतारा। राजा मनकापुर अन्नू भैया के उदार भाव और अपने क्षेत्र के लोगों को हमेशा अपने हृदय में स्थान देने के कारण जनता हमेशा उनके भावों को समझती है, राजा मनकापुर की चुप्पी को किस तरह देखती है इसका भी कुछ अर्थ है,। वही कई   बार एमएलए रहे कांग्रेस प्रत्याशी राम प्रताप सिह की वजह से बीजेपी अधर पर लटकी दिख रही है। अब वहाँ की जनता लोभ लुभावने नारे के साथ रहेगी या" अन्नू भैया के प्यार और सम्मान के साथ रहेगी निर्णय कल सामने आ जायेगा।

वैसे तो एक्जिट पोल के संकेत साफ तौर पर योगी सरकार की वापसी तय कर चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है और सबकी निगाहें कल आने वाले परिणाम पर टिकी हुई हैं। इन्जार अब मात्र कुछ ही घण्टो का शेष है।


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