2022 का महासमर
करनैलगंज/गोण्डा - विधानसभा क्षेत्र 298 कर्नलगंज में 27 फरवरी रविवार को सम्पन्न हुआ पांचवें चरण का चुनावी समर काफी रोमांचक रहा है। कर्नलगंज क्षेत्र अति महत्वपूर्ण होने केे लिहाज से सभी पार्टियों की निगाहें इस सीट पर टिकी हैं। चुनावी दौर में बड़े-बड़े नेता कर्नलगंज में अपना पैर जमाये दिखे। वहीं बीजेपी ने भी अपने गढ़ को बचाने के लिए सारी ताकत झोंक दी। सभी नेता यहां बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं लेकिन इन वादों के बीच में कर्नलगंज अकेले एक कोने में अपनी बदहाली के आंसू बहाता दिख रहा है। उसकी सुधि लेंने वाला कोई नहीं है और न ही इन मुद्दों पर किसी की नजर गई। जबकि प्रदेश में विकास की गंगा बहाने के लंबे चौड़े दावे करने वाली सरकार सत्ता में है। कर्नलगंज में बड़े कद्दावर नेता भी भाजपा के पक्ष में वोट की अपील करते हुए नजर आये जो जगह जगह बीजेपी के शासन काल में हुए काम को जनता के बीच में बताते रहे हैं। बैठक में यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि सरकार उनके लिए कितनी लाभकारी योजनाएं लाई है। नेतागण कर्नलगंज की सरजमीं पर बड़े-बड़े वादे तो कर गये पर कर्नलगंज की बदहाली अपनी जगह बरकरार है। क्षेत्र की अनेकों सड़कें जाम एवं गड्ढायुक्त बदहाली की समस्या से जूझ रही हैं। जबकि क्षेत्र में बनी कुछ गौशाला की हालात अपनी कहानी अलग बयां कर रही हैं। जहां गौमाता की रक्षा और राष्ट्रीय पशु बनाने के पैरोकार भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। क्षेत्रवासी इस बात से बेहद निराश हैं कि इस समस्या का पूर्ण रूप से हल आज तक नहीं हो पाया और इससे निजात नहीं मिल सकी । यहाँ समस्याओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है। क्षेत्र में अपनी-अपनी पार्टी की हवा बनाने में नेता जुटे दिखे पर कर्नलगंज की हवा जहरीली हो चुकी है, कई सड़कें धूल के गुबार के बीच हिचकोले खा रही हैं। जहां सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क यही नहीं मालूम पड़ता। यह बात क्षेत्र के युवाओं को भी सालती आ रही है ।और वह कहते हैं कि चुनाव में यह बुनियादी मुद्दे गायब रहेे हैं। जिले का काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के बाद भी कर्नलगंज क्षेत्र बदहाली के लिए आंसू बहा रहा है। अब चुनाव में नेता अपनी पार्टी को जिताने के लिए कर्नलगंज में दिन-रात एक कर दिए हैं ,पर अफसोस ये है कि कर्नलगंज की दुर्दशा व अहम समस्याओ को मात्र चर्चा और वादे तक ही सीमित रखा गया। यहां स्वास्थ्य सेवाएं भी बद से बदतर हालात में हैं। यह क्षेत्र आज भी अनेकों अधूरे कार्यों और समस्याओं से संघर्ष करते हुए भागीरथ के आने की टकटकी लगाए हैं, इस विधानसभा चुनाव में कर्नलगंज की कई मूलभूत समस्याएं चुनावी मुद्दा नहीं बन पाई हैं। मालूम हो कि यह क्षेत्र अंग्रेजों के जमाने से प्राचीन नाम सकरौरा छावनी के नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम परिवर्तित होकर कर्नलगंज हो गया। कर्नलगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या अनुमानित 3 लाख 50 हजार के आसपास है। कर्नलगंज विधानसभा क्षेत्र क्षत्रिय बहुल इलाका माना जाता है। यहां दूसरे नंबर पर ब्राह्मण, दलित, वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं की भी अच्छी खासी संख्या है। क्षेत्र में बीते सात चुनावों की बात करें तो कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया को पांच चुनाव में जीत मिली है। इस दौरान उन्होंने बीजेपी, कांग्रेस से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। वर्ष 1991 से पहले हुए चुनाव में कुंवर अजय प्रताप सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर अप ने अपनी जीत दर्ज कराई। अगले विधानसभा चुनाव से पहले कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया बीजेपी में शामिल हो गए और कर्नलंगज सीट पर चुनाव जीतकर बीजेपी के लिए कमल खिलाया। वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया ने बीजेपी के लिए एक बार फिर जीत दर्ज की। इस बार के चुनाव में उनके प्रतिद्वंदी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। वर्ष 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया पर अपना भरोसा दिखाया और उन्हें उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में कुंवर अजय प्रताप सिंह 'लल्ला भईया' को 43,590 वोट मिले। दूसरे नंबर पर योगेश प्रताप सिंह रहे,उन्हें 28,914 वोट मिले थे। हालांकि वर्ष 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में कुंवर अजय प्रताप उर्फ लल्ला भइया को हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी के उम्मीदवार कुंवर अजय प्रताप सिंह को बसपा के योगेश प्रताप सिंह ने 4,167 वोटों से पराजित किया। वर्ष 2002 के चुनाव में मिली हार के बाद कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया ने बीजेपी को छोड़ कांग्रेस का 'हाथ' पकड़ लिया। जिससे कांग्रेस ने वर्ष 2007 के चुनाव में उन्हें टिकट दिया और उन्होंने कांग्रेस को निराश नहीं किया। कुंवर अजय प्रताप सिंह 'लल्ला भईया' ने कांग्रेस पार्टी से जीत दर्ज की। दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह रहे थे। हालांकि 2012 के चुनाव में कुंवर अजय प्रताप सिंह 'लल्ला भईया' को टिकट कटने की आशंका हो रही थी। इसके चलते अजय प्रताप सिंह 'लल्ला भईया' ने चुनाव से पहले कांग्रेस का 'हाथ' छोड़ 'हाथी' पर सवार हो गए। 2012 में विधानसभा चुनाव हुआ तो बसपा ने लल्ला भइया को अपना उम्मीदवार घोषित किया लेकिन चुनाव के नतीजों में लल्ला भइया कमाल नहीं कर सके और बसपा को हार का मुंह देखना पड़ा। सपा के योगेश प्रताप सिंह ने उन्हें शिकस्त दी। हालांकि 2017 के चुनाव से पहले अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया एक बार फिर वापस बीजेपी में आए। इस चुनाव के दौरान कहा जा रहा था कि हाल ही में पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं को बीजेपी टिकट नहीं देगी। लेकिन बीजेपी ने ऐन वक्त पर लल्ला भइया को अपना प्रत्याशी बना दिया। इस चुनाव में जनता की भारी नाराजगी के बीच विधानसभा चुनाव में कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया ने केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और कार्यों के सहारे सपा के योगेश प्रताप सिंह को शिकस्त देकर 'कमल' खिलाया और विधानसभा सभा क्षेत्र की बागडोर संभाली। लेकिन वर्ष 2022 में बीजेपी से कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया का टिकट कट गया जिससे उन्होंने नाराज होकर सबको चौंकाने वाला कदम उठाते हुए अपने निवास बरगदी कोट में हज़ारों समर्थकों की मौजूदगी में बैठक करके अपने चिर प्रतिद्वंद्वी रहे समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह को समर्थन देकर उन्हें चुनाव जिताने की कोशिश शुरू कर दी। जहाँ एक तरफ लल्ला भईया के दोनों सुपुत्र कुंवर शारदेन मोहन सिंह व वेंकटेश मोहन सिंह सपा के पक्ष में समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार करके उन्हें भारी मतों से विजयश्री दिलाने की अपील कर चुके हैं। वहीं बीजेपी के बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह भाजपा प्रत्याशी अजय सिंह को जिताने के लिए अपनी प्रतिष्ठा लगाए दिखे। क्षेत्र में कई जनसभाएं करके उनके पक्ष में मतदान की अपील कर चुके हैं वही अजय सिंह भी पूरे दम खम के साथ चुनाव मैदान में डटे रहे हैं और उन्होंने चुनाव जीतने के लिए अपनी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी हैै।अहम मुद्दे और समस्यायें खल रही राजकीय इंटर कालेज,राजकीय बालिका इंटर कालेज तथा राजकीय डिग्री कालेज की कमी
विधानसभा क्षेत्र कर्नलगंज राजनीति का केंद्र होने के बावजूद राजकीय इंटर कालेज, राजकीय बालिका इंटर कालेज तथा राजकीय डिग्री कालेज का अभी तक निर्माण ना होने से क्षेत्र के हजारों छात्र/ छात्राओं को सरकारी और कम शुल्क पर शिक्षा नहीं उपलब्ध हो पाती है जिन्हें मजबूरन या तो निजी कालेजों का सहारा लेना पड़ता है अथवा कई किलोमीटर दूर राजकीय कालेजों में अध्ययन करने हेतु जाना पड़ता है। जो सरकारी कालेजों की कमी से जूझ रहा है। अग्नि शमन केंद्र का नहीं हुआ निर्माण
कर्नलगंज में प्रायः अग्निकांड के समय उससे बचाव एवं नियंत्रण के लिए पर्याप्त अग्नि शमन वाहन की उपलब्धता हेतु अग्निशमन केंद्र का निर्माण ना होने की भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। जिससे प्रायः अग्निकांड की घटना होने पर समय से अग्नि शमन वाहन समय से ना पहुंच पाने से लोगों को काफी नुक़सान का सामना करना पड़ता है और उनकी काफी गृहस्थी जलकर राख हो जाती है। कर्नलगंज से शाहपुर मार्ग सहित कई सड़कें जगह जगह गड्ढा युक्त और जर्जर होने से आवागमन बदहाल
क्षेत्र के कर्नलगंज से शाहपुर मार्ग पर फतेहपुर कोटहना से आगे शाहपुर जाने वाली सड़क सहित कई जर्जर सड़कें जिम्मेदार लोगों की नजरों से ओझल होने से आवागमन काफी दुश्वार है जो मरम्मत की बाट जोह रही हैं। क्षेत्र में काफी संख्या में खराब इंडिया मार्का हैंडपंप और पानी टंकी की समस्या
कस्बे सहित ग्रामीण अंचलों में विभिन्न स्थानों पर खराब इंडिया मार्का हैंडपंप और प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पानी टंकी की सुविधा मुहैया ना होने से पेयजल संकट बदहाली की ओर इशारा कर रही है। बसस्टॉप की कसक
क्षेत्र के प्रमुख चौराहे पर बस स्टैंड की कमी है जिससे लगने वाले जाम से प्रायः कर्नलगंज चौराहा घिरा रहता है। मालूम हो कि कर्नलगंज कस्बे में दशकों पूर्व रोडवेज के बुकिंग आफिस का अस्थाई रूप से संचालन हो रहा था वह भी कई वर्षों पूर्व समाप्त हो गया। यहां प्रतिदिन सैकड़ों बसें सड़क पर ही रुकती हैं। लेकिन बहुप्रतीक्षित एक बसस्टॉप की व्यवस्था यहां अभी तक नहीं हो सकी जबकि सामाजिक कार्यकर्ताओं, संगठनों सहित स्थानीय लोगों द्वारा बसस्टॉप और सामुदायिक शौचालय के निर्माण सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की अनेकों बार जिम्मेदार लोगों,स्थानीय अधिकारियों सहित शासन स्तर के आला अधिकारियों से मांग की जा चुकी है। लेकिन यह कार्य आज तक नहीं हो पाया। जबकि गोंडा-लखनऊ हाईवे होने के बावजूद कर्नलगंज चौराहे पर गोल चौराहा और ट्रेफिक पुलिस की भी व्यवस्था नहीं हो पाई। इसके अलावा अन्य समस्या भी दूर नहीं हो सकी है। यहां की जनता इन कमियों से बेहद परेशान है और आस लगाए है। कर्नलगंज बसस्टॉप चौराहे पर सामुदायिक शौचालय का अभाव
क्षेत्र के बसस्टॉप चौराहे पर यात्रियों/ राहगीरों महिलाओं, बुजुर्गों और आमजनता की सुविधा के लिए कोई सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था नहीं है और क्षेत्र का प्रमुख चौराहा जहां से प्रतिदिन हजारों लोगों गैर जनपदों सहित राजधानी और दूसरे प्रदेशों को आवागमन करते हैं वह एक अदद सामुदायिक शौचालय की बाट जोह रहा है। वहीं यात्री शेड और मूलभूत सुविधाएं सफाई पेयजल की कमी भी लोग बता रहे हैं। छुट्टा जानवरों की विकराल समस्या से भारी संख्या में बेहाल किसान व फसलों पर संकट
क्षेत्र में छ्ट्टा जानवरों से भी काफी संख्या में किसान त्रस्त हैं जो दिन रात जानवरों से अपनी फसलों को बचाने हेतु काफी मशक्कत करते हुए रतजगा करने पर मजबूर है वहीं किसानों की खून-पसीने कड़ी मेहनत से पैदा की गई फसल को छुट्टा जानवर काफी संख्या में नष्ट कर नुक़सान पहुंचा रहे है। जिससे किसान बेहाल हैं वहीं जिम्मेदार लोग, शासन प्रशासन बेखबर है।यह समस्या एक दो प्रत्याशियों को छोड़कर अन्य जिम्मेदार नेताओं के चुनाव का मुद्दा नहीं बन पाई है
कर्नलगंज विधानसभा क्षेत्र से दूसरे जनपदों और राजधानी लखनऊ को आवागमन के मुख्य मार्ग गोंडा लखनऊ राजमार्ग पर राजधानी को जोड़ने वाले मार्ग पर अंग्रेजों के जमाने में बना कटरा घाट पुल काफी जर्जर हो चुका है और उसकी मियाद वर्षों पूर्व खत्म हो चुकी है। जिससे लोग अब इस पुल से निकलने से ही डरते हैं।जबकि अब तक कई बार यह पुल विभिन्न स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो चुका है जिससे कई दिनों तक आवागमन भी बाधित रहने के साथ दूसरे मार्गों पर वाहनों का डायवर्जन करने के बाद मरम्मत करके पुनः संचालन बहाल कराते हुए काम चलाया जा रहा है। क्षेत्र के हुजूरपुर,कटरा शहबाजपुर व जहांगिरवा रेलवे क्रासिंगों पर प्रायः घंटों जाम की समस्या क्षेत्र अन्तर्गत रेलवे क्रासिंगें जनता के लिये बड़ी समस्या का सबब बनी है। कर्नलगंज हुजूरपुर मार्ग स्थित रेलवे क्रासिंग व गोंडा-लखनऊ मार्ग पर कटरा शहबाजपुर एवं जहांगिरवा रेलवे क्रासिंग पर प्रतिदिन घंटों जाम की समस्या बनी रहती है,जिसमें फंसे लोग कराहते नजर आते हैं। जबकि क्रासिंग पर प्रतिदिन लगने वाले जाम से क्षेत्र की जनता काफी त्रस्त हो चुकी है। वहीं गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज,गर्भवती महिलाएं, छात्र-छात्राऐं,किसान, मजदूर व छोटे व्यापारी के लिये जाम की समस्या काफी कष्टकारी साबित हो रही है। यही नहीं समय से इलाज न हो पाने से कई मरीज अपनी जान भी गवां चुके हैं। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल
वहीं क्षेत्र के अधिकतर ग्रामों में स्वास्थ्य सेवाएं भी सुचारू रूप से लोगों को मुहैया नहीं हो पा रही है। बेरोजगार युवाओं को सुनिश्चित रोजगार हेतु फैक्ट्री,कारखाने और अन्य संसाधनों की समस्या
क्षेत्र के हजारों बेरोजगार युवा राजनीति पार्टियों और नेताओं के लोकलुभावन बातों और वादे में तो रहते हैं लेकिन इनको सुनिश्चित रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। जिन्हें मजबूर होकर दूसरे प्रदेशों और जिलों में जाकर मजदूरी कर अपने परिवार का जीवन यापन करना पड़ रहा है। जो फैक्ट्री,कारखाने और अन्य संसाधनों की कमी से स्थानीय स्तर पर रोजगार से वंचित हैं।
घण्टाघर चौराहे पर रोटी के लिये लगती है मजदूर मंडी
आप करनैलगंज के ऐतिहासिक घण्टाघर चौराहे पर जाकर देख सकते हैं कि यहां रोजी रोटी के लिये मजदूर काफी तादात में समूह बनाकर खड़े रहते हैं, और काम के लिये बोली लगती है। अपने परिवार के भरण पोषण के लिये इस मजदूर मंडी में रोज सैकड़ो मजदूर मजदूरी के लिये लाइन लगाकर खड़े रहते हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव जिले की रेफरल यूनिट दर्जा प्राप्त यहां के सी एच सी में चिकित्सकों का अभाव है ना तो कोई सर्जन ना होने से दुर्घटना या अन्य मामलों में सर्जरी के लिए जिले व प्रदेश मुख्यालय लखनऊ जाना पड़ता है कुछ दिनों पूर्व यहां ब्लड बैंक भी स्थापित किया गया है वर्तमान में जो भी चिकित्सकीय सेवाएं मिल रही हैं वह भी जहां पर मौजूद जिम्मेदारों द्वारा की जा रही लापरवाही के चलते अव्यवस्था का शिकार है दवाओं का टोटा व स्वास्थ्य जांच के नाम पर मरीजों को निजी जांच केंद्रों पर भेजना आए दिन मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है जिसका लोग विरोध करते हैं और आए दिन इसकी शिकायतें भी उच्च अधिकारियों द्वारा की जाती हैं पर अब तक कोई ठोस कार्यवाही ना होने से जिम्मेदारों के हौसले बुलंद हैं आखिरकार गरीब जनता को यह जनप्रतिनिधि स्वास्थ्य के नाम पर कब तक ठगते रहेंगे।
ग्राम पंचायत स्तर पर छुट्टा जानवरों,गौवंशो के संरक्षण एवं भरण पोषण के लिए गौशाला का नहीं हुआ निर्माण
-सरकार द्वारा छुट्टा जानवरों,गौवंशो के संरक्षण एवं भरण पोषण के लिए गौशाला स्थापित करने एवं उसके संचालन के मद में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने के बाद भी अभी भारी संख्या में छुट्टा जानवर,गौवंश खुले आम खेतों में झुंड के रूप में दिखाई पड़ रहें हैं वहीं सड़कों पर बैठे नजर आने के साथ ही यातायात में बाधक बनने के साथ साथ दुर्घटना का सबब तो बन ही रहे हैं वहीं भूंख प्यास से बेहाल होकर यह निरीह जानवर अपनी भूख मिटाने हेतु किसानो की हरी भरी फसल चट कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे और दुकानदारों की सामग्री पर मुंह मारने के एवज में डंडे खाने पर मजबूर हैं।जिनकी काफी दुर्दशा है।जिनका कोई पुरसाहाल नहीं है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में नागरिकों की सुविधा हेतु सामुदायिक शौचालय का नहीं हुआ निर्माण
सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन अभियान केवल कागजों तक सीमित दिख रहा है जिसका पूर्ण लाभ धरातल पर लोगों को नहीं मिल रहा है जिसका कारण प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय का निर्माण ना होना भी प्रतीत हो रहा है। लोगों का कहना है कि यदि प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय का निर्माण होने के साथ ही उसकी उचित देखभाल साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाय तो लोगों को काफी सुविधा हो सकती है। ग्राम पंचायत, ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर खेल मैदान का अभाव
प्रत्येक ग्राम पंचायत में और ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर खेल मैदान की भी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे युवाओं को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है और उनका शारीरिक विकास ना हो पाने के साथ ही खेल कूद स्थान की कोई व्यवस्था ना होने से उन्हें सरकार की युवाओं के हित में संचालित योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। बताते चलें कि कर्नलगंज क्षेत्र कभी राजनीति का केंद्र बिंदु हुआ करता था और यहां वर्षों पूर्व सावन झूला मेला,दशहरा आदि के अवसर पर आसपास के कई जिलों के लोग आकर काफी संख्या में कई दिनों तक अपने रिस्तेदारों,परिचितों के यहां रुककर कार्यक्रम का आनंद लेते थे। यह क्षेत्र काफी मशहूर था और हजारों लोगों की भीड़ से गुलजार हुआ करता था। लेकिन कुछ कारणों से सावन झूला मेला मात्र रस्म अदायगी तक सीमित होकर रह गया है। जिससे गैर जनपदों दूर दराज क्षेत्रों से मेले को देखने आने वाले लोगों का आना बंद होने से क्षेत्र अपने पुरानी अस्मिता को संजोए हुए बीते पलों को वापस लौटने की आस लगाए है। नेताओं के वादों के बीच बुनियादी सुविधाओं और अहम विकास कार्यों के साथ ही अनेकों समस्याओं से जूझ रहा है जिसके सर्वांगीण विकास के लिए किसी ने ध्यान नहीं दिया। जो क्षेत्र के जिम्मेदार नेताओं प्रत्याशियों के लिए चुनौती है।फिलहाल कर्नलगंज सीट पर बीजेपी का कब्जा है। वर्तमान में इस सीट से बीजेपी के अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया ही विधायक हैं।
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Gonda
इन सारे कार्यों को योगेश के अलावा अन्य कोई पूरा नहीं कर सकता ! वैसे योगेश ने इन सबके वादे भी कर रखे हैं ।।
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