जिले में अब तक 26 लाख 84 हजार 832 लोगों ने लगवा लिया है कोविड का टीका
गोंडा - गर्भवती व धात्री माताएं कोविड टीकाकरण को लेकर मन में उठ रहे तरह-तरह के सवालों से भ्रमित न हों, बल्कि विशेषज्ञों और वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा दी गयी जानकारी पर ध्यान दें | विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भवती या शिशु को स्तनपान करा रहीं महिलाओं को भी अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचकर कोरोना से बचाव का टीका जरूर लगवाना चाहिए |
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व कोविड टीकाकरण के नोडल डॉ जय गोविन्द का कहना है कि कोरोना का टीका लगने से गर्भवती व गर्भ में पल रहा शिशु भी कोरोना वायरस से सुरक्षित हो जाता है | कोविड का टीका लगने से गर्भवती के होने वाले संभावित कोरोना वायरस के जोखिमों में कमी आती है। यह टीका गर्भवती और धात्री महिलाओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।
उनका कहना है कि इस संबंध में मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अपर्णा उपाध्याय द्वारा जारी पत्र के क्रम में जनपद के समस्त सीएचसी / पीएचसी अधीक्षक व प्रभारियों को पत्र के माध्यम से यह निर्देश दिया गया गया है कि वीएचएनडी सत्रों पर गर्भवती महिलाओं को कोविड टीकाकरण की आवश्यकता और लाभों के बारें में जानकारी देते हुए नजदीकी टीकाकरण केंद्र से टीकाकरण कराया जाए। प्रत्येक माह की नौ तारीख को आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के मौके पर अधिक से अधिक संख्या में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण कराया जाए। गर्भवती महिलाओं के कोविड टीकाकरण के समय कोविन पोर्टल पर लाभार्थी टाइप में गर्भवती महिला दर्ज किया जाए। क्लस्टर मॉडल 2.0 एवं हर घर दस्तक अभियान के तहत आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर भ्रमण कर गर्भवती व धात्री महिलाओं को कोविड टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जाए।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी के अनुसार, जिले में 04 दिसम्बर 2021 तक कुल 26 लाख 84 हजार 832 लोगों ने कोविड का टीका लगवा लिया है, इसमें 17 लाख 75 हजार 856 लोगों को टीके की पहली डोज व 9 लाख 08 हजार 976 लोगों को कोविड टीके की दोनों डोज दे दी गई है |
महिला-पुरुष टीकाकरण में नहीं ज्यादा अंतर :
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी का कहना है कि यदि महिला और पुरुष के टीकाकरण के आंकड़ों पर गौर करें, तो शनिवार 04 दिसंबर तक जिले में 13 लाख 49 हजार 266 पुरुषों को, 13 लाख 34 हजार 621 महिलाओं को व 945 अन्य को कोविड टीका लगाया गया है |
सीएमओ डॉ आरएस केसरी का कहना है कि कोरोना कम जरूर हुआ है, लेकिन अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। कोरोनारोधी टीका और कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर ही इससे बचा जा सकता है। इसीलिए सरकार हर किसी को यह टीका लगवाने के लिए कह रही है। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर यह टीका मुफ्त लगाया जा रहा है। कोरोना से बचाव का टीका गर्भावस्था के शुरुआती माह से लेकर प्रसव तक कभी भी लगवाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जो महिलाएं कोरोना से संक्रमित हुईं हैं, वह स्वस्थ होने के तीन माह बाद यह टीका लगवा सकती हैं। 35 साल से अधिक आयु की वह गर्भवती जो बीपी, शुगर अथवा अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, उन्हें कोरोना का खतरा सबसे ज्यादा है। कोरोना रोधी टीका गर्भवतियों के लिए सुरक्षित है। उन्होंने यह भी बताया कि गर्भावस्था के दौरान जिन्होंने कोरोना रोधी टीके लगवाए, प्रसव के बाद उनमें और उनके शिशु में एंटीबॉडी पाई गई। सीएमओ का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा के जरिए गर्भस्थ शिशु को कोरोना से बचाव की वैक्सीन मिलती है, जिससे गर्भस्थ शिशु को कोई परेशानी नहीं होती है। उन्होंने स्तनपान कराने वाली महिलाओं से भी अपील की है कि वह भी बिना संकोच के कोरोनारोधी टीका लगवाएं।
माहवारी के दौरान भी लगवाएं कोविड का टीका
एसीएमओ डॉ एपी सिंह का कहना है कि वर्तमान में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना से बचाव का टीका लगाया जा रहा है। ऐसे में किशोरियों के मन में यह सवाल भी है कि माहवारी के दौरान यह टीका लगवाना चाहिए या नहीं। इस संबंध में उनका कहना है कि माहवारी का टीके से कोई संबंध नहीं है। माहवारी के दौरान भी यह टीका लगवाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि टीका लगने के बाद टीके की जगह दर्द हो या बुखार हो तो पैरासिटामॉल की गोली खा सकती हैं।
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