57वीं क्रान्ति के महानायक देवी बख्श सिंह की जन्मस्थली जिगनाकोर्ट में खानदानी लोगो ने किया तर्पण

गोण्डा - बुधवार को पितृ अमावस्या पर्व पर अपने पितरों के श्राद्ध पूजन व तर्पण के दिन 57 वीं क्रान्ति के महानायक गोण्डा नरेश महाराजा देवी बख्श के खानदानी वंशजों द्वारा उनके जन्मस्थली जिगना कोर्ट में मनवर नदी के तट स्थित पंच शिवाला मन्दिर जो (महाराजा देवी बख्श सिंह समकालीन माना जा रहा है) पर विद्वान पण्डितो के सानिध्य में पिंडदान,श्राद्ध (ब्राह्मण भोज) कर उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिसमे उनके खानदान समेत अन्य कई नामी गिरामी लोगो की भागीदारी रही। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गोंडा में बिगुल फूंकने वाले राजा की शौर्य गाथा आज भी लोगों में देशभक्ति की अलख जगा रही है ,भले ही आजादी के लिये उन्होंने अनगिनत कष्ट झेले हों , राजपाट गंवाया लेकिन उन्होंने कभी अंग्रेजों के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया।
वतन पर मर मिटे लेकिन अब उनकी पहचान गायब होती जा रही है। 

अपने दुर्दिन पर आंसू बहा रहा है जिगना कोट,एक लाख दीपक वाला खण्डर सँजोये हैं स्मृतियाँ

  पैतृक गांव जिगना कोट में पवित्र मनवर नदी के तट स्थित पंचमुखी शिवाला जहां उनकी रानी प्रतिदिन पूजा अर्चना हेतु आया करती थीं उस पंचमुखी शिवाला के इर्द-गिर्द के चारों तरफ बने मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।गांव में उनका परिवार भी जिस कुएं का पानी पीता था आज गंदगी से पटा हुआ दिख रहा है ,और तो और उनकी प्रतिमा को लगाने के लिए जो स्तंभ बना था वह भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मूर्ति को स्थापित करने की बाट जोह रहा है। सत्तावनी क्रांति के महानायक महाराजा देवी बख्श सिंह के महल का एक हिस्सा लाख ताखे वाली वह दीवाल भी अपनी बेनूरी पर आंसू बहा रही है जिसमे कभी एक साथ एक लाख दीपों की पंक्तियां झिलमिलाती थीं। महान क्रांतिकारी का स्मृति शेष जिगना कोर्ट का यह ऐतिहासिक स्थल आज संरक्षण के अभाव में अपनी पहचान खोता जा रहा है। जिगना कोर्ट में देवी बख्श सिंह की जन्मस्थली पर रहने वाले राम सजन 60 वर्ष तथा महाराजा देवी बख्श सिंह के खानदानी बनकसिया निवासी विजय बहादुर सिंह 75 वर्ष ने बताया कि यहाँ अवशेष बचा यह कुंआ राज महल के अन्दर था जिससे राज परिवार के लोग पानी पीते थे। वहीं बगल में ईंट से बने एक खम्भानुमा स्तम्भ के बारे में बताया की करीब 10 वर्ष पूर्व प्रशासन द्वारा महाराजा देवी बख्श सिंह की प्रतिमा लगाने हेतु  इसका निर्माण कराया गया था जो आज भी अपूर्ण है। स्थानीय लोगों की राय है कि आजादी आंदोलन से जुड़े इस ऐतिहासिक धरोहर को सँजोये रखने की जरूरत है, उनकी माँग है कि सरकार को ऐसी धरोहरों को संरक्षित रखना चाहिए। वहीँ उच्चतर सेवा आयोग के सदस्य रहे डॉ शेर बहादुर सिंह ने कहा कि आजादी आंदोलन के महानायक गोण्डा नरेश महाराजा देबीबख्श सिंह  के जन्मस्थली जिगना कोर्ट को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाना चाहिये ताकि आने वाली पीढियां उनसेे प्रेरणा ले सकें।उन्होंने कहा कि कुछ लोगो द्वारा ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों पर काबिज होकर आजादी आंदोलन में सर्वस्व न्योछावर करने वाले देश के सपूतों का नामोनिशान मिटाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थलों के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को सीघ्र ही अवगत कराया जायेगा। अमर बलिदानी महाराजा देवी बख्श सिंह की श्राद्ध में उन्हें नमन करने वालों में उनके खानदानी माने जाने वाले वंशज माधवराज सिंह बिसम्भरपुर,अमित सिंह नगवा, लखेश्वरी सिंह चेतपुर,आनन्द सिंह,प्रबीन सिंह,रवि भूषण सिंह,अंकु सिंह,महेंद्र बख्श सिंह,अतुल सिंह,योगेश सिंह, विजय बहादुर सिंह बनकसिया, बंटी सिंह,विनोद सिंह,संजय सिंह,जंगली सिंह, के अलावा केवी सिंह गोण्डा, हनुमान सिंह विशेन गोण्डा तथा सुभाष सिंह करनैलगंज समेत सैकड़ो लोगो की भागीदारी रही। कार्यक्रम का आयोजन क्षत्रिय युवा वाहिनी द्वारा किया गया।

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