उ० प्र० हिंदी संस्थान देगा 50 हजार आर्थिक मदद,साहित्यकार आर्थिक लाभ हेतु सीघ्र करें आवेदन

गोण्डा - जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने बताया है कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान हिन्दी भाषा के प्रचार - प्रसार के अतिरिक्त साहित्यकारों के कल्याण हेतु अनेक योजनाएं संचालित करता है। संस्थान आर्थिक रूप से विपन्न साहित्यकारों को साहित्यकार कल्याण कोष योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता तथा प्रकाशन अनुदान योजना अन्तर्गत रचनाकारों को उनकी पाण्डुलिपि के मुद्रण / प्रकाशन हेतु प्रकाशन अनुदान प्रदान करता है। 
         इस संबंध में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निदेशक ने बताया है कि साहित्यकार कल्याण कोष योजना के अंतर्गत संस्थान द्वारा विषम आर्थिक स्थिति ग्रस्त या रुग्ण ऐसे साहित्यकारों को जिनकी वार्षिक आय (समस्त स्रोतो से) रु० 5 लाख से अधिक नहीं है, उन्हें अधिकतम रु०, 50,000 (रु० पचास हजार) अनावर्तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि प्रकाशन अनुदान योजना के अंतर्गत संस्थान द्वारा ऐसे रचनाकारों को जिनकी वार्षिक आय (समस्त स्रोतों से) रु० 5.00 लाख से अधिक नहीं है। कुल प्रकाशन पर होने वाले व्यय का तीन चौथाई भाग, जो रु० 30,000 (रु०तीस हजार) से अधिक नहीं होगा। उनकी पाण्डुलिपि के मुद्रण / प्रकाशन हेतु प्रकाशन अनुदान प्रदान किया जाता है। इन दोनों योजनाओं हेतु संस्थान द्वारा प्राविधानित नियमावली के अनुसार साहित्यकार / रचनाकार आवेदन निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन, हिन्दी भवन, 6–महात्मा गांधी मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ -226001 को कर सकते हैं। उक्त दोनों योजनाओं की नियमावली व आवेदन पत्र का प्रारूप संस्थान कार्यालय से किसी कार्य दिवस में प्राप्त किया जा सकता है। संस्थान में प्रार्थना पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2021 है। योजनाओं के विवरण एवं प्रार्थना पत्र का प्रारूप संस्थान की वेबसाइट: www.uphindisansthan.in  पर भी उपलब्ध है।

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