गोण्डा - कोविड-19 महामारी या किसी अन्य कारण जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो गयी है और उनकी देखभाल करने वाला घर पर कोई नहीं है। ऐसे बच्चों को महिला कल्याण विभाग द्वारा पुर्नवासित कराया जायेगा। उक्त जानकारी देते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि विभिन्न विभागों से समन्वय कर अनाथ या बेघर हुए ऐसे बच्चों का चिन्हाकन कराया जा रहा है। महिला कल्याण विभाग ऐसे बच्चों को ससमय आवश्यक सुविधाएं, सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करने के लिए नोडल विभाग है तथा महामारी की इन परिस्थितियों में ग्रस्त व चिन्हित बच्चों की उत्तरजीविता, विकास, सुरक्षा तथा संरक्षण हेतु विभाग द्वारा निर्धारित संचालन प्रक्रिया के अनुरूप कार्य किया जायेगा। उन्होने बताया कि बच्चों को बालगृहों में आवासित करना अंतिम उपाय होगा, इसके पूर्व उन्हे गैर संस्थागत देखभाल (रिश्तेदारों की देखरेख में), फास्टर केयर, उपयुक्त व्यक्ति या उपयुक्त सुविधा, कानूनी रूप से गोद देना जैसे परिवार आधारित देखरेख में रखे जाने के प्रयास किये जाने जायेंगे तथा उनका फाॅलोअप लिया जाता रहेगा।
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*ये बच्चे होंगे पात्र*
गोण्डा। जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि विभाग के चिन्हीकरण में वहीं बच्चे पात्र होंगे, जिनके माता-पिता की कोविड-19 संक्रमण से मृत्यु हो गयी हो। ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता कोविड पाजिटिव नहीं पाये गये हैं तथा लक्षण कोविड-19 के समान ही थे और उपचार के दौरान/अभाव में उनकी मृत्यु हो गयी हो। ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता कोविड-19 या किसी अन्य कारण से अस्पताल में भर्ती हों अथवा माता-पिता कोविड-19/समान लक्षणें से होम आइसोलेशन में हों और उनकी देखरेख के लिए कोई न हो। ऐसे बच्चों को विभाग सुविधा प्रदान किया जायेगा।
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*चाइल्ड लाइन पर दे सकते हैं सूचना*
गोण्डा। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने जन सामान्य से अपील करते हुए कहा कि ऐसे जरूरतमंद बच्चों के सम्बन्ध में किसी को कोई भी सूचना मिलती है, तो वह चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 या महिला हेल्पलाइन 181 पर काॅल कर सूचना दे सकता है। उन्होने कहा कि बच्चों की मदद करें। उन्हे एक सुरक्षित वातावरण दिलाने में सहभागी बने, यह बच्चे का अधिकार है।
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*काॅल पर मिलेगा टेली परामर्श*
गोण्डा। बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य तथा मनोसामाजिक परामर्श कराना प्रथम दायित्व है, जिसके क्रम में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा शुरू की गयी ‘संवेदना टोल फ्री परामर्श हेल्पलाइन सेवा 18001212830’ से भी टेली परामर्श प्राप्त किया जा सकता है।
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बिना कानूनी प्रक्रिया के गोद लेना है कानूनी अपराध
गोण्डा। जो बच्चे अनाथ हो गए और उनको कोई भी व्यक्ति उनके परिवार या आसपास से गोद नहीं ले सकता है। यह बिल्कुल गलत है, गैर कानूनी और अपराध है। उक्त जानकारी देते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि बच्चों को सिर्फ कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से गोद लिया जा सकता है। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की वेबसाइट पर पंजीकरण करा कर और कानूनी रूप से कार्यवाही करते हुए की जाती है। व्यक्ति द्वारा सीधे बच्चा गोद लेना या गोद देना दोनों अवैध व कानूनी अपराध है एवं बच्चों के अधिकार का हनन है। उसके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्यवाही की जाएगी तथा किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 80 के अंतर्गत 03 वर्ष तक की कैद या 01 लाख रुपए का जुर्माना अथवा दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
*बाल विवाह है अपराध: डीपीओ*
गोण्डा। बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, साथ ही कानूनी रूप से दण्डनीय अपराध भी है। उक्त जानकारी देते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि समाज के कुछ लोगों द्वारा लड़के और लड़की का विवाह निर्धारित आयु क्रमशः 21 एवं 18 वर्ष के पूर्व ही कर दिया जाता है। प्रायः इस प्रकार के विवाह अक्षय तृतीया के अवसर पर होते है, जबकि इस सम्बन्ध में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के अन्तर्गत बाल विवाह होने पर 02 वर्ष की सजा अथवा 1 लाख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है। उन्होने आमजनों से अपील किया है कि इस वर्ष अक्षय तृतीया 14 मई को है। ऐसे में बाल विवाह को हतोत्साहित करें तथा बाल विवाह की किसी भी घटना के सम्बन्ध में सूचना मिलने पर जिला प्रोबेशन अधिकारी, महिला हेल्पलाइन 181, चाइल्ड हेल्प लाइन 1098, डाॅयल 112 व अपने नजदीकी थाने पर सूचित करें।
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