परसपुर गोण्डा (रमेश पाण्डेय)। पंचायत चुनाव में अदेय प्रमाण पत्र जारी करने के नाम पर धड़ल्ले से अवैध वसूली का कारोबार किया जा रहा है। निरंकुश अधिकारी व कर्मचारियों को कार्यवाही का तनिक भी खौफ नही है। सोशल मीडिया पर अवैध वसूली का वीडियो वायरल होने के बाद व समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद भी अवैध वसूली का खेल नहीं रूक रहा है। मामला तहसील क्षेत्र के कार्यालय विकास खंड परसपुर का है जहां पंचायत चुनाव में प्रतिभाग करने वाले प्रत्याशियों को पंचायत विभाग द्वारा अदेय प्रमाण पत्र जारी करने के नाम पर खुलेआम अवैध वसूली का मामला प्रकाश में आया है। शुक्रवार को कार्यालय विकास खंड परसपुर में हो रही अवैध वसूली का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। कई समाचार पत्रों में प्रमुखता से खबर का प्रकाशन हुआ। लेकिन संबंधित के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गई। नतीजा धड़ल्ले से अवैध वसूली का कारोबार चलता रहा। रविवार के दिन पत्रकारों को सूचना मिली कि कार्यालय विकास खंड परसपुर में अदेय प्रमाण पत्र जारी करने के नाम पर पंचायत विभाग के कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली का गंदा खेल खेला जा रहा है। पत्रकारों का समूह ब्लॉक परिसर पहुंचा जहां पाया गया कि अदेय प्रमाण पत्र जारी करने के नाम पर खुलेआम अवैध वसूली की जा रही है। लोग परेशान नज़र आये परन्तु परिसर में कोई सक्षम अधिकारी नज़र नही आया। अवैध वसूली का वीडियो कैमरे में कैद हो गया। परिसर में पत्रकारों की मौजूदगी की खबर होने के बाद भी अवैध वसूली का गंदा खेल जारी रहा।इस भ्रष्टाचरित कार्य अवैध वसूली को स्थानीय और भुक्तभोगी लोगों द्वारा मौजूदा खंड विकास अधिकारी का अवैध संरक्षण होना बताया जा रहा है।जिसमे काफी कसमकश के पश्चात अपनी फजीहत होते देख खंड विकास अधिकारी द्वारा संज्ञान में लेकर जांच कराने की बात कही गई। वहीं पत्रकारों ने जब इस संबंध में प्रभारी वीडियो केके कबीर से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है संबंधित से स्पष्टीकरण मांगा गया है।जिसमें अभी तक कोई कार्यवाही ना किए जाने से खंड विकास अधिकारी की कार्यप्रणाली सवालिया घेरे में है वहीं उनकी सत्यनिष्ठा पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। लोगों का कहना है कि यदि बीडियो ईमानदार होते और उनकी भूमिका संदिग्ध ना होती तो ब्लॉक परिसर में अवैध वसूली का खुले आम खेल ना चलता और उनके द्वारा वायरल वीडियो को तत्काल संज्ञान लेकर सख्त कार्यवाही करते हुए अंकुश लगाया जाता। फिलहाल उपरोक्त गंभीर प्रकरण में त्वरित कार्रवाई ना होने से ब्लाक के जिम्मेदार अधिकारी कहे जाने वाले खंड विकास अधिकारी की सहभागिता प्रतीत होती है जिससे उनके द्वारा ऐन प्रकारेण मामले को ठंडे बस्ते में डालकर दबाने का प्रयास किया जा रहा है जो चर्चा का विषय बना है।