नहीं पहुँच पा रही जरूरतमंदों तक सरकार की योजनायें, 6माह शिशु के इलाज हेतु मदद मांग रहा योजनाओं से वंचित ये अधेड़।

 गोण्डा - 

केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा गाँव के गरीब, मजदूरीपेशा व कमजोर तबके के लिये चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओ का लाभ गाँव के उस जरूरतमन्द तक नहीं पहुँच पा रहा है,जिसे उसका इंतजार है या यूँ कहें कि जिसे वास्तव में उसकी दरकार है। इसका जीता जागता उदाहरण रविवार को उस समय देखने को मिला जब कटे फ़टे व अति गन्दे लिवास में अपने बच्चे को इलाज हेतु ले जा रहे एक अधेड़ को दूसरे का बच्चा ले जाने के शक में लोगों ने घेर लिया। मामला बेलसर से जुड़ा है। बेलसर (रगडग़ंज) के रेडसन पुरवा के 56 वर्षीय किशन  की कहानी आज के इस युग में गरीबों के लिये संचालित की जा रही तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को कितना मिल पा रहा है वह बयान करती है। रविवार को दोपहर के वक्त करीब 1:00 बज रहे थे नगर के बस स्टॉप चौराहे पर सड़क के किनारे कुछ लोग एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति को घेरे खड़े थे वहां पहुंचने पर पता चला कि एक 56 वर्षीय व्यक्ति जो कि अपने आपको रगड़गंज के रेडसन पुरवा का निवासी बता रहा था उसने बताया कि वह अपने 6 माह के बच्चे जो कि सूखा रोग से ग्रसित था की दवा कराने गुरुद्वारे के पास स्थित दर्शन क्लीनिक पर जा रहा है उसने अपने बच्चे को गोद में ले रखा था लोगों को शक हुआ बच्चा कहीं से लेकर तो नहीं आया उसने बताया कि वह उसी का बच्चा है तभी चौराहे पर ड्यूटी कर रहे होमगार्ड उसे कोतवाली ले आये,पुलिस ने पूँछताक्ष किया इस दौरान उसकी व बच्चे की दशा देखकर एक महिला सिपाही ने बच्चे के लिये कुछ कपड़े भी दिये। तथा पुलिस की सहायता से उसे डॉक्टर के यहाँ पहुँचा दिया गया। बाद में उसके बताये जाने पर डॉक्टर गुरदीप सिंह के क्लीनिक से संपर्क किया गया तो पता चला कि वह काफी समय से उनके यहां इलाज करा रहा है तब लोगों का शक दूर हुआ। 


किशन अपने कुपोषित बच्चे को लेकर दर्शन क्लीनिक से दवाई लेकर कुछ सोचने लगा हाथ में दूध की गंदी सी बोतल और बच्चे के शरीर पर 1 जोड़ी कपड़ा और साथ में एक प्लास्टिक की बोरी में अपने खाने के लिये रोटी, व बच्चे को ठंडक से बचाने के लिये उसके पास एक ऊनी चादर थी। उसका शरीर उसकी गरीबी को बयां कर रहा था पूछने पर बताया कि ना तो उसके पास कोई व्यवस्थित घर है,न किसी तरह की सरकारी योजना का लाभ मिल रहा है। परिवार में 5 बच्चे व एक बेटी है, उसकी पत्नी भी मानसिक रूप से अस्वस्थ है। वह मजदूरी करके अपने परिवार का किसी प्रकार भरण पोषण कर रहा है। ना तो अब तक उसे किसी प्रकार की सरकारी सुविधा मुहैया हो पाई और ना ही घर। उसने बताया कि जब वह दवा लेने आता है तो रास्ते मे बेलसर से लेकर करनैलगंज तक व इधर उधर बाजार में लोगों से सहायता लेते हुये करनैलगंज पहुंचता है। डॉ गुरदीप सिंह का कहना कहना है कि, किशन कई वर्षों से यहाँ दवा लेने आता है,लेकिन उसकी आर्थिक तंगी को देखकर उसे मुफ्त में दवा दी जाती है,आज भी उन्होंने किशन के कुपोषित बच्चे का निःशुल्क इलाज किया। उन्होंने बताया कि अभी और कुछ दिनों तक इसका इलाज चलता रहेगा।





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