करनैलगंज गोण्डा(रमेश पाण्डेय) : सरस्वती साहित्य समिति के तत्वाधान में एक काव्य गोष्ठी एवं विचार गोष्ठी का आयोजन विवेकानंद विद्यालय करनैलगंज में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गणेश प्रसाद तिवारी व संचालन राम कुमार मिश्रा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदा की वंदना अवध राज वर्मा करुण द्वारा एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया। उसके बाद कवियों ने अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कवि संतराम सिंह संत ने पढ़ा-रजाई बड़े काम की, सुख चारों धाम की।
वीरेंद्र विक्रम तिवारी बेतुक ने पढ़ा- आई प्रधानी भए कैंडिडेट पानी सब,आज मतदाता भगवान के समान हैं। कोई जोरे हाथ कोई डारत है अंगोछा पांव, कोई कहे चुप रहो गुप्त मतदान है।
कवि जयदीप सिंह सरस ने पढ़ा- जाति धर्म पर हल्ला दंगा जिंदाबाद, ईश्वर अल्लाह जमजम गंगा जिंदाबाद। भीतर भीतर कुर्सी जिंदाबाद रहे, बाहर बाहर रहे तिरंगा जिंदाबाद।
कवि कृष्ण कुमार सिंह दीप ने पढ़ा- कर दिया देश की सेवा में जिसने अपना तन अर्पित है, मेरी कविता का शब्द शब्द चरणों में आज समर्पित है।
कवि अवध राज वर्मा करुण ने पढ़ा- कलाम को कलाम से सलाम कीजिए, श्रम निष्ठा लगन का पैगाम लीजिए।
रामकृष्ण लाल ने पढ़ा- अनजाने भय से सदा रहूं भयभीत, पढ़ा-लिखा सब व्यर्थ भए, भूल गए सब नीति।
कवि राम कुमार मिश्रा कुमार ने पढ़ा-हर जवान सीमा पर आहुति देता है, बाती सा जलकर उजास भर देता है। कर्म साधना उनकी अमिट कहानी है। उनका वंदन भारत मां का वंदन है, भारत माता तेरा शत शत वंदन है।
कवि धर्मेंद्र कुमार ने पढ़ा- भुलाएंगे कैसे तेरी हम शहादत, तेरी बदौलत हम हैं सलामत। लूटा जान दी है परवाह नहीं की, करते हुए देश की है हिफाजत।
गणेश प्रसाद तिवारी नेश ने पढ़ा- व्यर्थ जीवन बिताता तू किन के लिए, जिंदगी है मिली चार दिन के लिए। लूट कर तूने अपनी बढ़ाई रकम, आखिरी में तरसा कफन के लिए। देश के वे वीर सिपाही अमर हो गए, चढ़ गए दार पर जो वतन के लिए। इस कार्यक्रम में अन्य तमाम कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं। कार्यक्रम में भीम, मनीष कुमार, विवेक कुमार, इरशाद अहमद, महफूज, अभिमन्यु मिश्रा, अनुज मिश्रा, दिनेश मिश्रा एवं कॉलेज के प्रधानाचार्य हीरालाल आदि उपस्थित रहे।