बाल विवाह है कानूनी अपराध-जिला प्रोवेशन अधिकारी



        जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी ने जनमानस से अपील की है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है,किसी भी बालिका जिसने अपनी आयु 18 व बालक जिसने अपनी आयु 21 वर्ष पूर्ण ना की हो का विवाह कराया जाना प्रतिबंधित है। समाज में व्याप्त अंधविश्वास एवं रूढ़िवादी परंपरा के कारण समाज के कुछ अभिभावक सन रक्षकों द्वारा अपने पुत्र पुत्रियों की शादी अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर शुभ मानकर की जाती है जिसमें कई बाल विवाह भी होते हैं जो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 का खुलकर उल्लंघन है इस अधिनियम के अनुसार बाल विवाह अधिनियम तथा पोक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी जिसमें सजा व अर्थदंड दोनों का प्रावधान है बाल विवाह में प्रतिभाग करने वाले व्यक्तियों पर भी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अंतर्गत बाल विवाह कराने वाले व्यक्ति एवं अनुष्ठान करने वाले व्यक्तियों के लिए 2 वर्ष का कठोर कारावास एवं ₹100000 जुर्माने का प्रावधान है बाल विवाह कराने पर सम्मिलित होने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।इन नंबरों पर शिकायत करें - यदि बाल विवाह से संबंधित कोई प्रकरण संज्ञान में आता है तो उसकी सूचना तत्काल 1098, 1090, 112 महिला कल्याण विभाग में जिला प्रोबेशन अधिकारी बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड लाइन व संबंधित थाने पर दे सकते है। *आपरेशन मुक्ति* मिशन शक्ति फेज़ 4.0 के अंतर्गत महिला एवं बाल विकास विभाग 1 मई को अंर्तराष्ट्रीय बाल श्रम दिवस तथा 3 मई को अक्षय तृतिया के अवसर पर 1 से 7 मई के मध्य बाल विवाह तथा बाल श्रम के विरूद्ध सप्ताह भर जागरूकता एवं रेस्क्यू हेतु वृहद अभियान का संचालन किया जायेगा। अभियान के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग, अन्य विभागों/प्रधिकारियों यथा जिलाधिकारी, पुलिस, स्वास्थ्य, श्रम, शिक्षा तथा बाल सेवा एवं पुष्टाहार आदि विभागों के साथ-साथ एस0जे0पी0यू0, ए0एच0टी0यू0, बाल कल्याण समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, स्वंयसेवी संस्थाओं तथा चाइल्डलाइन के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय करेंगें। अभियान के दौरान बाल विवाह या बाल श्रम के किसी प्रकरण में बच्चे/बच्चों को रेस्क्यू करने हेतु उक्त विभागों की टीम द्वारा विभागवार कार्य विभाजन कर पूरे ऑपरेशन को संचालित किया जायेगा। समस्त हितगामियों पर पूर्व निर्धारित प्रोटोकाल व बच्चों की पहचान गोपनीय रखने का दायित्व होगा। रेस्क्यू से पूर्व ही सभी संबंधित विभागों को सूचना दी जायेगी तथा बच्चों को रेस्क्यू करने के बाद उन्हें खाने-पीने, यात्रा, मेडिकल, आश्रय, घरवापसी आदि में किसी प्रकार का विलम्ब न हो या असुविधा न हो इस हेतु सभी विभागों द्वारा तैयारियां पूरी रखी जायेंगी।

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