करनैलगंज : धर्मपरिवर्तन के संरक्षणदाता कब होंगे बेनकाब ?

- 23 सितम्बर धर्मान्तरण की घटना में वांक्षित सह अभियुक्तों की भी होगी गिरफ्तारी ?

गोंडा। करनैलगंज तहसील क्षेत्र में धर्म परिवर्तन कराकर लड़कियों को एक समुदाय विशेष के युवकों द्वारा अपने प्रेम जाल में फंसाकर भगाने का सिलसिला कई वर्षों से लगातार चला आ रहा है। कभी लड़की के परिजनों द्वारा अपने झूठे आत्मसम्मान के कारण मामला दब गया तो कभी पुलिस प्रशासन की सुस्ती के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया। और उसी का परिणाम है कि यूपी में धर्मपरिवर्तन विरोधी कानून लागू होने के बाद भी लव जिहाद का यह सिलसिला जारी है। और यह सिलसिला तब तक थमेगा भी नहीं जब तक धर्मपरिवर्तन कराने में पर्दे के पीछे से भूमिका निभाने वालों के चेहरे वेनकाब नहीं होंगे।

गत 23 सितम्बर को करनैलगंज नगर के नियाज नामक युवक ग्रामीण क्षेत्र की दूसरे धर्म की एक लड़की को बहला फुसला कर अपने घर लाया और अपने माँ बाप के सहयोग से लड़की को लालच देकर धर्मपरिवर्तन कराकर उससे शादी करने के लिए दस्तावेज तैयार कराया लेकिन तब तक भेद खुल गया और मामला पुलिस थाने में पहुंच गया जिससे उसके सारे मंसूबे धरासाई हो गए। मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करते हुए पुलिस ने लड़की भी बरामद कर ली और कस्बे की शांति व्यवस्था को ग्रहण लगने से बचा लिया। लेकिन अब भी वही अनुत्तरित सवाल लोगों को मथ रहा है कि आखिर कब तक यह सिलसिला चलता रहेगा। क्या इस धर्मपरिवर्तन कराने में पर्दे के पीछे से काम करने वाले , संरक्षण देने वाले और फंडिंग करने वाले कभी बेनकाब होंगें ? आज से 12 वर्ष पूर्व कस्बे का ही एक युवक दूसरे धर्म की लड़की को बहला कर भगा कर विदेश चला गया कोई कार्यवाई नहीं। पांच वर्ष पूर्व ग्रामीण क्षेत्र की एक और लड़की को भगाकर धर्मपरिवर्तन कराकर निकाह करा लिया गया और फिर उसे प्रताड़ित करने का सिलसिला शुरू हुआ फिर तलाक और फिर दूसरी जगह निकाह फिर तलाक आज वह बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है। अभी करीब 6 माह पूर्व भी एक लड़की को भगाकर धर्मपरिवर्तन कराने की कोशिश की गई लेकिन उसमें भी पुलिस की सक्रियता से धर्मपरिवर्तन कराने में लोग सफल नहीं हो सके। करनैलगंज क्षेत्र मे घटित धर्मान्तरण की घटना के दो माह बीतने के बाद भी एक अनुत्तरित सवाल लोगोँ को अभी भी मथ रहा है कि क्या मामले में मुख्य अभियुक्त के माता पिता जो मुकदमें में सहअभियुक्त थे,क्या उनकी भी गिरफ्तारी होगी ? या उन्हें पुलिस अभयदान देगी। इसके अलावा एक सवाल यह भी है कि घटना के बाद जिस व्यक्ति के संरक्षण में आरोपी पनाह ले रहा था क्या उसके विरुद्ध भी कोई कार्यवाही होगी। घटना के समय पुलिस का यह कथन था कि मामले में जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जायेगा लेकिन मुख्य आरोपी को जेल भेजने के बाद से पुलिस जिस तरह से सुस्त है उससे पुलिस की कथनी करनी में फर्क दिख रहा है। सूत्रों का कहना है कि वर्षो से धर्मान्तरण का जो खेल खेला जा रहा है उसमें पर्दे के पीक्षे रहने वाले मुख्य साजिश कर्ताओं के चेहरे बेनकाब न होने के कारण धर्मान्तरण पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इस सम्बन्ध में सरकार चाहे जितना भी कठोर कानून बनाये लेकिन जब तक पुलिस उन आकाओं को बेनकाब नहीं करेगी और ऐसे संरक्षणदाताओ/ साजिश कर्ताओं को खोजकर कठोर सजा नहीं देगी तब तक योगी सरकार द्वारा धर्मान्तरण को रोकने के लिये बनाया गया कानून निष्प्रभावी ही रहेगा। मामले में स्थानीय पुलिस का कहना है कि मुख्य आरोपी को जेल भेजा जा चुका है और विवेचना अभी जारी है। वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. सिंह का कहना है कि मुकदमें में वांक्षित सहअभियुक्तों की गिरफ्तारी अब तक हो जानी चाहिये थी,लेकिन ऐसा लगता है कि पुलिस सह अभियुक्तों को संरक्षण दे रही है।

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