करनैलगंज/गोण्डा - नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली यह कहावत लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों पर एकदम सटीक बैठती है। क्षतिग्रस्त सरयू पुल जिसे 15 दिनों में दुरुस्त कर लेने की बात कही जा रही थी,उसपर 12 दिन बीत जाने के बाद भी दूर-दूर तक अभी सुचारूरूप से आवागमन बहाल होने की स्थिति नजर नहीं आ रही है। बताते चलें कि गोण्डा से लखनऊ को जोड़ने वाले मार्ग पर बीते कुछ दिनों पूर्व कटराघाट स्थित सरयू पुल के अचानक क्षतिग्रस्त होने के बाद बड़े वाहनों का आवागमन पूरी तरह से रोक दिया गया था।राजधानी से आये विभागीय अधिकारियों के निरीक्षण के बाद हल्के वाहनों को निकलने की इजाजत दी गई और यह कहा गया कि 15 दिनों में मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया जायेगा,मरम्मत का कार्य भी कच्छप गति से शुरू हो गया ,लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मार्ग पर जरूरी जगहों पर संकेतांक लगाना भूल गये,जिससे राहगीर भ्रमित होकर उधर उधर भटकते रहे,अब इसे अधिकारियों की उदासीनता कहें या लापरवाही ? फ़िलहाल काफी बिलम्ब के बाद12 दिन बीत जाने पर आज एकाध जगहों पर कहीं-कहीं संकेतांक लगवाना शुरू किया गया है। इसी बीच 9 अक्टूबर को पीडब्लूडी बिभाग द्वारा एक तुगलकी फरमान जारी कर अचानक एक बार फिर सरयू पुल पर आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया। जिससे तमाम लोगो को बीच रास्ते से वैरँग लौटना पड़ा। बिभाग द्वारा जारी पत्र के मुताबिक केवल अति विशिष्ट,विशिष्ट एवं इमरजेंसी वाहनों को निकलने की छूट दी गई । विभाग के सूत्रों की माने तो यह कार्य बमुश्किल 7 दिनों में कड़ी मेहनत के साथ पूरा किया जा सकता था पर मन्दगति से चल रहे मरम्मत कार्य को देखकर यह नहीं लगता है कि अभी जल्दी कुछ दिनों में आवागमन बहाल हो सकेगा। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आधुनिकता के इस दौर में जहां अच्छी मशीनें और तकनीकि व्यवस्था मौजूद है तो फिर इस पुल के सही करने में इतना ज्यादा वक्त क्यों लग रहा है ? क्या जिम्मेदार जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं ? जो भी हो पर इसका खामियाजा तो केवल जनता को भुगतना पड़ रहा है । मौजूदा समय मे त्योहारी सीजन की रफ्तार चल रही है, जिसके चलते लोगों का आवागमन लगातार बढ़ता जा रहा है । ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा आवागमन हेतु जिन रूटों का निर्धारण किया गया है उसमें करनैलगंज धनावा मार्ग वाया फतेहपुर कोटहना मार्ग शामिल नही है लेकिन बिभाग द्वारा संकेतांक न लगाएं जाने से तमाम भारी वाहन इस मार्ग पर बेरोकटोक चल रहे हैं,यह सिंगल रोड है,सरयू डिग्री कालेज,सरयू बालिका विद्यालय,मत्स्य सोध संस्थान,पॉलिटेक्निक कालेज,साँई स्पोर्ट्स स्कूल,आश्रम पद्धति विद्यालय तथा प्राथमिक विद्यालय के छात्रों के आने जाने का यही एक मात्र रास्ता है घण्टो घण्टो पर भारी जाम में लोग फंसे रहते हैं,ऐसी स्थित में भारी वाहनों के आवागमन प्रतिबंधित न होने से दुर्घटना की संभावनाओ से भी इनकार नही किया जा सकता। भारी वाहनों के दिनरात चलने से सड़क क्षतिग्रस्त हो चुकी है। आखिर जिम्मेदार कौन ? सबसे बड़ी समस्या तो उन बीमार व्यक्तियों के लिए है जो एंबुलेंस के बजाय अपने निजी साधनों से स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राजधानी जाते हैं जिन्हें आये दिन पुल के पास बनाये गये डायवर्जन पर सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से उलझना पड़ता है लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही इस कदर हावी है जिसका कोई जबाब नहीं। जिम्मेदारो की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। इतना ही नहीं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा भी कहीं ना कहीं अधिकारियों का मनोबल बढ़ा रही है,कोई पूँछने वाला नहीं है। जो आदेश विभाग के अधिकारियों ने जारी किया है उसमें वीआईपी मूवमेंट को छूट दे दी गई है बाकी बची जनता वह परेशान होती रहे,कोई दिक्कत नहीं यदि स्थानीय पुलिस अनवरत सक्रिय न रहे तो आये दिन पुल पर भारी जाम लगा रहे जिससे कभी भी स्थित खराब हो सकती है। सरयू पुल पर जहाँ मरम्मत का कार्य चल रहा है वहाँ कोई जिम्मेदार कभी मौजूद नहीं रहता आज दोपहर में वहाँ मौजूद जेई ने बताया कि हमारा क्षेत्र कटरा बाजार है हम मात्र आठ घण्टे की ड्यूटी पर हैं। उनसे कोई सार्थक जबाब नही मिल सका। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग कितने जिम्मेदार हैं।
मामले में पीडब्ल्यूडी एक्सईन से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे सम्पर्क न हो पाने के कारण उनका पक्ष नहीं जाना जा सका। फिलहाल गस्त पर निकले प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार सिंह ने भारी जाम व मौजूदा हालात को देखते हुये करनैलगंज धनावा मार्ग पर जाने वाले भारी वाहनों को मोड़कर बिभाग द्वारा निर्धारित मार्गो पर ले जाने के लिये मौर्यनगर चौराहे पर सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिया है।
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