पंचायतीराज विभाग पर डीएम ने कसा शिकंजा,मानक विरुद्ध कार्य व भुगतान कराने पर सचिव व प्रधान के खिलाफ कड़ी कार्यवाही

गोण्डा - डीएम मार्कण्डेय शाही ने जिला पंचायतराज अधिकारी सहित सभी खण्ड विकास अधिकारियों, एडीओ पंचायतों तथा अन्य संबंधित अधिकारियों को पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाएं यथा-15वां वित्त आयोग, पंचम राज्य वित्त आयोग, पंचायत भवन निर्माण एवं अंत्येष्टि स्थल निर्माण योजनान्तर्गत दिये गये प्रावधानों के अनुसार ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत द्वारा गाइडलाइन के अनुरूप अनुमन्य कार्यों की ही कार्ययोजनाएं तैयार करते हुए ग्राम पंचायत को प्रेषित कराने के निर्देश दिए हैं। डीएम ने पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनायें जैसे 15वां वित्त आयोग, पंचम राज्य वित्त आयोग, पंचायत भवन निर्माण एवं अन्त्येष्टि स्थल निर्माण कराये जाने वाले कार्यों में कार्यस्थल पर श्रमिकों की उपस्थिति बगैर मस्टर रोल भरे जाने, अवयस्क नाम मस्टर रोल में अंकित होने के बावजूद भुगतान की संस्तुति करने के लिए सचिव ग्राम पंचायत/कार्य प्रभारी एवं ग्राम प्रधान, कार्य का मापांकन मापी पुस्तिका में न किये जाने, कार्य की गलत एम0बी0 करके भुगतान करने वाले एवं बिना कार्य कराये एवं कराये गये कार्य से अधिक धनराशि का भुगतान की कार्यवाही हेतु संस्तुति करने के लिए सम्बन्धित विकासखण्ड के नामित अवर अभियन्ता तथा पत्रावली में वांछित अभिलेख संरक्षित न करने, अभिलेखीय परीक्षण न होने, तीनों स्तर के फोटोग्राफ अपलोड न करने, नियमानुसार वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान न किये जाने के पश्चात् भी कार्यों पर भुगतान की संस्तुति/कार्यवाही करने के लिए सम्बन्धित ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम प्रधान का पंचायती राज अधिनियम,1947 की धारा -95(1)(जी) के तहत व पर्यवेक्षणीय दायित्व के लिए सहायक विकास अधिकारी(पं0) तथा इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत में लेखाकार, सम्बन्धित अभियन्ता, खण्ड विकास अधिकारी का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए विभागीय व अनुशासनात्मक कार्यवाही, दुर्विनियोग की गयी धनराशि की वसूली के साथ ही एफआईआर दर्ज कराने की कार्यवाही की जायेगी। 

जिलाधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा प्राप्त सभी प्रस्तावों एवं कार्यों को ग्राम सभा की खुली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा तथा ग्राम सभा की बैठक में ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तुत की गयी कार्ययोजना पर चर्चा करते हुए वार्षिक कार्ययोजना को खण्ड विकास अधिकारी/सहायक विकास अधिकारी(पं0) के द्वारा कार्य योजना का परीक्षण किया जाएगा, जिसमें यह देखा जायेगा कि तैयार की गयी कार्ययोजना अनुमन्य कार्यों के अनुरूप है। खण्ड विकास अधिकारी/सहायक विकास अधिकारी(पं0) द्वारा परीक्षण के उपरान्त भारत सरकार के ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम पंचायतों की वार्षिक कार्ययोजना अपलोड की जायेगी। इसी प्रकार क्षेत्र पंचायत द्वारा तैयार की कार्ययोजना का परीक्षण खण्ड विकास अधिकारी द्वारा किया जायेगा। परीक्षण के उपरान्त भारत सरकार के ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर ग्राम पंचायतों की वार्षिक कार्ययोजना अपलोड की जायेगी।
जिलाधिकारी ने 15वां वित्त आयोग/पंचम राज्य वित्त आयोग अंतर्गत कार्य प्रारम्भ कराने हेतु बिंदुवार निर्देश जारी किए हैं जिसके अनुसार 15वां वित्त आयोग, पंचम राज्य वित्त आयोग योजनान्तर्गत स्वीकृत कार्ययोजना में प्राथमिकता के आधार पर अनुमन्य कार्यों का चयन करते हुए, प्राक्कलन तैयार किये जाने हेतु ग्राम पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत द्वारा प्रस्तावित कार्यस्थल के फोटोग्राफ सहित प्रस्ताव विकासखण्ड खण्ड स्तरीय नामित अवर अभियन्ता को उपलब्ध कराया जायेगा। सम्बन्धित अवर अभियन्ता द्वारा कार्यस्थल पर उपस्थित होकर स्थलीय निरीक्षण करने के पश्चात् प्राक्कलन तैयार कर सक्षम अधिकारी से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त की जायेगी, तथा इस बात का प्रमाण पत्र अलग से प्रस्तुत किया जायेगा कि कार्यस्थल का निरीक्षण मेरे द्वारा करने के उपरान्त ही प्राक्कलन तैयार किया गया है एवं उक्त कार्य कार्यस्थल पर कराये जाने योग्य है।
           कार्यों पर तकनीकी स्वीकृति सक्षम स्तर से प्राप्त हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित अधिकारी द्वारा  प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति के पूर्व पत्रावली में सम्बन्धित कार्ययोजना की प्रति, कार्यवाही रजिस्टर की प्रमाणित छायाप्रति, कार्यस्थल के जी0पी0एस0 फोटोग्राफ (जिसमें तकनीकी अधिकारी उपस्थित हों), कार्य 05 वर्ष में न कराये जाने का प्रमाण पत्र एवं अन्य आवश्यक अभिलेख प्राप्त करके उसका, परीक्षण कर प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृति निर्गत की जाये। प्राक्कलन का तकनीकी स्वीकृति के पश्चात शासनादेश द्वारा निर्गत मार्ग-निर्देश के अनुसार ग्राम पंचायतों द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति हेतु पत्रावली प्रस्तुत की जाएगी जिसमें 02 लाख रुपए तक संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा, 02 लाख से ढाई लाख रुपए तक सहायक विकास अधिकारी(पं0) द्वारा, ढाई लाख से 05 लाख तक जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा तथा 05 लाख से अधिक या ऊपर जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।
         जिलाधिकारी ने अन्त्येष्टि स्थल विकास योजनान्तर्गत कार्य प्रारम्भ कराने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में अन्त्येष्टि स्थलों के नागरिक अवस्थापना सुविधायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्राम पंचायतों में अन्त्येष्टि स्थलों का विकास किया जा रहा है। अन्त्येष्टि स्थलों का चयन ग्राम पंचायत से प्राप्त प्रस्ताव के आधार पर जहां अधिकतम शवों की अंत्येष्टि की जाती है और ये अंत्येष्टि स्थल नदियों के किनारे अथवा अन्य सुरक्षित स्थानों पर ग्राम सभा/सार्वजनिक स्वामित्व स्थलों का ही चयन किया जाय। जनपद स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा अंत्येष्टि स्थल का अन्तिम चयन किया जायेगा। समिति द्वारा अंत्येष्टि स्थल निर्माण हेतु ग्राम पंचायतों के चयन हो जाने के उपरान्त सम्बन्धित ग्राम पंचायत के खाते में अंत्येष्टि स्थल निर्माण हेतु शासन द्वारा धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी, शासन द्वारा निर्धारित मॉडल, आगणन/प्राक्कलन के आधार पर सम्बन्धित विकास खण्ड स्तरीय नामित अवर अभियन्ता द्वारा प्राक्कलन तैयार किया जायेगा। प्राक्कलन पर तकनीकी परीक्षण अधिशासी अभियन्ता/अभियन्ता जिला पंचायत द्वारा किया जायेगा, तकनीकी परीक्षणोंपरान्त वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति जिलाधिकारी द्वारा प्रदान की जायेगी। जिसके सापेक्ष 15वां वित्त आयोग/पंचम राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुसार अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराते हुए ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के माध्यम से भुगतान की ग्राम पंचायत द्वारा सम्पादित की जायेगी।
          इसी प्रकार पंचायत भवन निर्माण कार्य प्रारम्भ कराने के लिए पंचायत भवन विहीन ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत की आबादी (वर्ष 2011 की जनगणना) के अवरोही क्रम में लक्ष्य के सापेक्ष ग्राम पंचायतों का चयन किया जाता है। चयनित ग्राम पंचायत के खाते में पंचायत भवन निर्माण हेतु उपलब्ध करायी जायेगी, जिसके सापेक्ष 15वां वित्त आयोग/पंचम राज्य वित्त आयोग के अन्तर्गत निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुसार पंचायत भवन का निर्माण कराते हुए ई-ग्राम स्वराज पोर्टल के माध्यम से भुगतान की ग्राम पंचायत द्वारा सम्पादित की जायेगी।

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