गोण्डा - डीएम मार्कण्डेय शाही ने मनरेगा योजना में पारदर्शिता लाने एवं भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए विस्तृत आदेश जारी किए हैं। अब मनरेगा योजना के तहत कराए जाने वाले कार्यों के लिए जिम्मेदारों की जवाबदेही सीधे तय होगी। जिलाधिकारी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि मनरेगा योजनान्तर्गत कराये जाने वाले कार्यों में कार्यस्थल पर श्रमिकों की उपस्थिति बगैर मस्टर रोल भरे जाने, अव्यस्क/मृतक जाॅबकार्ड धारक का नाम मस्टर रोल में अंकित होने के बावजूद भुगतान की संस्तुति करने के लिए ग्राम रोजगार सेवक, सचिव ग्राम पंचायत अथवा कार्य प्रभारी एवं ग्राम प्रधान, कार्य का मापांकन मापी पुस्तिका में न किये जाने, कार्य की गलत एम0बी0 करके भुगतान करने वाले एवं बिना कार्य कराये एवं कराये गये कार्य से अधिक धनराशि का भुगतान की कार्यवाही हेतु संस्तुति करने के लिए तकनीकी सहायक व अवर अभियन्ता तथा पत्रावली में वांछित अभिलेख संरक्षित न करने, अभिलेखीय परीक्षण न होने, तीनों स्तर के फोटोग्राफ अपलोड न करने, नियमानुसार वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान न किये जाने के पश्चात् भी कार्यों पर भुगतान की संस्तुति एवं कार्यवाही करने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर, सहायक लेखाकार-मनरेगा, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी-मनरेगा, लेखाकार (प्रथम हस्ताक्षरकर्ता) एवं खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय की एस0ओ0पी0 एवं अधिसूचना किये गये प्राविधानों के क्रम में सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए विभागीय/अनुशासनात्मक कार्यवाही, दुर्विनियोग की गयी धनराशि की वसूली के साथ ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने की कार्यवाही की जायेगी।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम-2005 के अन्तर्गत जारी दिशा-निर्देश में दिये गये प्रावधानों के अनुसार ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, लाइन विभाग व जिला पंचायत द्वारा गाइडलाइन के अनुरूप अनुमन्य कार्यों की ही कार्ययोजनाएं तैयार करते हुए ग्राम पंचायत को प्रेषित की जायें। ग्राम पंचायत द्वारा प्राप्त सभी प्रस्तावों एवं कार्यों को ग्राम सभा की खुली बैठक में प्रस्तुत की जायेगी। ग्राम सभा की बैठक में ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तुत की गयी कार्ययोजना पर चर्चा करते हुए श्रम-बजट के साथ वार्षिक कार्ययोजना को कार्यक्रम अधिकारी के पास प्रस्तुत करेगी। खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा कार्ययोजना का परीक्षण किया जाएगा, जिसमें यह देखा जायेगा कि तैयार की गयी कार्ययोजना अनुमन्य कार्यों के अनुरूप एवं मजदूरी एवं सामग्री अनुपात (60ः40) अधिनियम के अधीन है। क्षेत्र पंचायत द्वारा कार्ययोजना अनुमोदित कराते हुए जिला पंचायत के समक्ष वार्षिक कार्ययोजना एवं श्रम-बजट प्रस्तुत करके अनुमोदन प्राप्त किया जायेगा। जिला पंचायत से वार्षिक कार्य योजना एवं श्रम-बजट अनुमोदित हो जाने के उपरान्त जिला पंचायत, लाइन विभाग, क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम पंचायत में अनुमन्य कार्यों को नियमानुसार कराये जाने हेतु निर्देशों का अनुपालन अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जायेगा।
उन्होंने कार्य प्रारम्भ कराने हेतु निर्देशों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत स्वीकृत कार्ययोजना में अनुमन्य कार्यों का चयन करते हुए कार्यस्थल का चिन्हांकन कर ग्राम पंचायत द्वारा सिक्योर के माध्यम से कार्य की आई0डी0 सृजित कराये जाने के लिए आवेदन/प्रार्थना पत्र खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी को प्रस्तुत करेगी। खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी से स्वीकृति प्राप्त करने के पश्चात् ही आई0डी0 सृजित की जायेगी। आई0डी0 सृजित हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित तकनीकी सहायक/अवर अभियन्ता/सहायक अभियन्ता द्वारा कार्यस्थल पर उपस्थित होकर स्थलीय निरीक्षण करने के पश्चात् सिक्योर पर प्राक्कलन तैयार कर सक्षम अधिकारी से तकनीकी स्वीकृति प्राप्त की जाएगी, तथा इस बात का प्रमाण पत्र अलग से प्रस्तुत किया जायेगा कि कार्यस्थल का निरीक्षण मेरे द्वारा करने के उपरान्त ही प्राक्कलन तैयार किया गया है एवं उक्त कार्य कार्यस्थल पर कराये जाने योग्य है।
कार्यों पर तकनीकी स्वीकृति सक्षम स्तर से प्राप्त हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित अधिकारी द्वारा प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृत के पूर्व पत्रावली में सम्बन्धित कार्ययोजना की प्रति, कार्यस्थल के जी0पी0एस0 फोटोग्राफ (जिसमें तकनीकी अधिकारी उपस्थित हों), आई0डी0जनरेट की प्रति, कार्य 05 वर्ष में न कराये जाने का प्रमाण पत्र एवं अन्य आवश्यक अभिलेख प्राप्त करके उसका, परीक्षण कर प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृति निर्गत की जाये।
घ. प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हो जाने के उपरान्त सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी द्वारा कार्यस्थल का जी0ओ0 टैग कराकर, सम्बन्धित ग्राम रोजगार सेवक/सचिव के माध्यम से कार्य मांग पत्र निर्धारित प्रारूप पर खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी को प्रस्तुत किया जाए, इसके पश्चात् खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी द्वारा नियमानुसार ससमय मस्टर रोल जारी कराकर कार्य प्रारम्भ कराये जाने की कार्यवाही सुनिश्चित किया जाय। श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान समयान्तर्गत न होने पर उत्तरदायी अधिकारी/कर्मचारी से प्रतिकर की वसूली शासनादेश में दिये गये निर्देशों के अनुसार की जायेगी। मनरेगा योजनान्तर्गत कराये जा रहे कार्यों का स्थलीय निरीक्षण सम्बन्धित तकनीकी अधिकारी (तकनीकी सहायक, अवर अभियन्ता-आर0ई0डी0, एम0आई0) द्वारा किया समय-समय पर किया जायेगा एवं कार्य की मापी, गुणवत्तापूर्ण एवं मॉडल के अनुसार कार्य पाये जाने पर माप-पुस्तिका में अंकन करते हुए भुगतान की कार्यवाही हेतु खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी को प्रेषित किया जाय तथा कार्य के सापेक्ष ही श्रम एवं सामग्री मद की धनराशि का भुगतान नियमानुसार किया जाये, किसी भी दशा में कराये गये कार्य से अधिक सामग्री का क्रय एवं बिलों का भुगतान न किया जाय। मनरेगा योजनान्तर्गत ग्राम पंचायत/क्षेत्र पंचायत द्वारा कराये जाने वाले कार्यों की पत्रावली में समस्त आवश्यक अभिलेख यथा-कार्ययोजना, प्राक्कलन, टेण्डर/कुटेशन, तकनीकी स्वीकृति, प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृति, रोजगार मांग-पत्र, मस्टर रोल, माप पुस्तिका, निरीक्षण/सत्यापन रिपोर्ट, वेजलिस्ट, एफ0टी0ओ0, फोटोग्राफ (तीनों स्तर), कार्य पूर्ण होने पर कार्य पूर्ति प्रमाण एवं अनुश्रवण समिति की कार्य एवं गुणवत्ता रिपोर्ट संरक्षित रखे जाये। ग्राम पंचायत स्तर पर मजदूरी लागत और सामग्री लागत का अनुपात अधिनियम में निर्धारित 60ः40 के अनुपात के न्यूनतम मापदंड से कम नहीं होना चाहिए। ग्राम पंचायत/क्षेत्र पंचायत द्वारा कराये जा रहे कार्यों का सतत निरीक्षण एवं अनुश्रवण सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारी यथा- सचिव, तकनीकी सहायक, अवर अभियन्ता, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी-मनरेगा एवं खण्ड विकास अधिकारी/कार्यक्रम अधिकारी के द्वारा नियमित रूप से कार्य निर्धारित मॉडल(डिजाइन), गुणवत्तापूर्ण एवं मानक के अनुरूप कराने हेतु उत्तरदायी होेगें। क्षेत्र पंचायतों द्वारा प्रस्तुत कार्य योजना में प्रेषित कार्यो में नाला निर्माण/सफाई, तटबन्ध निर्माण/सफाई, मिट्टी पटाई, पुलिया एवं इंटरलॉकिंग कार्य एवं तालाब निर्माण/जीर्णोद्धार का कार्य लिया गया है, उक्त कार्यों में से पुलिया निर्माण, इंटरलॉकिंग, मिट्टी पटाई एवं तालाब निर्माण/जीर्णोद्वार की ऐसी परियोजना जो ग्राम पंचायत के अन्तर्गत/अधीन है, उन्हें ग्राम पंचायत की कार्ययोजना में सम्मिलित कराकर अपने स्तर से प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृति निर्गत कर कार्य कराया जाय।
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