करनैलगंज गोण्डा (रमेश पाण्डेय)। आस्थावान लोगों की न समझी के कारण जीवन दायिनी कही जाने वाली सरयू नदी का अस्तित्व खतरे में है। लोग पूजा में प्रयुक्त होने वाले फूल, प्लास्टिक, कांच, राख व मूर्तियां सहित अन्य सामग्री नदी में डालकर चले जाते हैं। जिससे नदी प्रदूषित होने के साथ ही उथली होती जा रही है। उसके बचाव हेतु सरयू नदी स्वच्छता अभियान के तहत टर्टल सर्वाइवल एलियंस संस्था के नेतृत्व में चलाए जा रहे सफाई अभियान में स्वयंसेवकों ने पुनः रविवार को इकट्ठा होकर घाट की सफाई किया और करीब 10 कुन्तल कचरा साफ किया।
स्वयंसेवकों ने नाव से भी नदी में तैर रहे कूड़े के पैकेटों को निकाला और प्लास्टिक कचरे व सड़ने वाले कचरे को अलग अलग किया। इससे पहले अभियान के अभिषेक दुबे ने एक पत्र लिखकर उपजिलाधिकारी और अधिशासी अधिकारी नगर पालिका करनैलगंज से सरयू अभियान में निकाले गए प्लास्टिक आदि के कचरे को वहां से हटवाने का अनुरोध किया था। मगर अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। जिससे सरयू सेवक में आक्रोश व्याप्त है। सरयू सेवक नदी से कचरा निकालकर मूर्तियों को अलग रखते हैं, फूल आदि सडने वाले कचरे का कंपोस्ट बनाते हैं और प्लास्टिक व अन्य न सड़ने वाले कचरे को घाट के बाहर इकट्ठा करते हैं जिसमें अब तक करीब 2 ट्राली कचरा इकट्ठा हो चुका है।
इस मौके पर डॉ आशीष ने कूड़े के निस्तारण के लिए नए कंपोस्ट गड्ढे बनवाने की जिम्मेदारी लिया। टीएसए इंडिया के राहुल कुमार ने बताया सरयू नदी मर 10 प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं जो नदी की सफाई करते हैं,मगर नदी में भारी मात्रा में फेंके जा रहे कचरे के दुष्प्रभाव से इनका अस्तित्व संकट में है। अभियान में प्रदीप यादव, नेचर क्लब गोण्डा के अभिषेक दुबे और स्थानीय सोनू, उत्सव आदि रहे।