कहीं भी अपना ठिकाना न इस जमाने में-न आशियाने के बाहर न आशियाने में : घनश्याम पाण्डेय गोण्डवी

करनैलगंज गोण्डा (रमेश पाण्डेय)। रविवार की शाम स्वर्गीय रमाशंकर सोनी चेतन की पुण्य स्मृति में एक विराट कवि सम्मेलन वह मुशायरा का आयोजन मोहल्ला सदर बाजार में आयोजक भीमसेन सोनी के नेतृत्व में आयोजित हुआ अध्यक्षता गणेश तिवारी ने की जबकि अब्दुल गफ्फार ठेकेदार बलराम कृष्ण लाल श्रीवास्तव संरक्षक की भूमिका में रहे अवध राज वर्मा करुण के संयोजन में संचालन याकूब सिद्दीकी अज्म व रविंद्र पांडे रवि ने संयुक्त रूप से किया।मुख्य अतिथि के रूप में घनश्याम गोंडवी ने स्वर्गीय चेतन जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। सरस्वती साहित्य समिति व बज्मे शामे गजल के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। आयोजक भीमसेन सोनी के साथ प्रदीप कुमार सोनी, नवनीत सोनी ,शिव गोपाल मिश्रा, अशोक कुमार, चंद्रकांत सोनी, शाहिद सभासद, शिवनारायण भट्ट, मुकेश सोनी,संतोष सोनी, सोम प्रकाश सोनी, मुकेश गिरी, राजू सोनी करण सिंह आदि ने माल्यार्पण कर कवियों का स्वागत किया कृष्ण कुमार सिंह दीप की सरस्वती वंदना से काव्य पाठ प्रारंभ हुआ अध्यक्षता कर रहे गणेश तिवारी ने स्नेह भावुक होकर कहा-
ऐ हमनशीं तेरी जुदाई अब नहीं होती सहन, कुछ नहीं अब चाहिए बस चाहिए दो गज कफन।

अतिथि दीनानाथ मिश्र विमल(हुजूरपुर-बहराइच) ने पढ़ा-
बनि कै चिरइया उड़ गेव,छोड़ि कै जहनवा हो रतनवा घर कै- कैसे होइहैं फिर मिलनवा हो रतनवा घर कै।
बहराइच से पधारे हजारी लाल निषाद ने कहा-
प्रीत की रीति जो जानत है,बस वह ही प्रीत लगावत है।
प्रीत लगाय कै निबाहै जोई,वही सच्चा मीत कहावत है।।
कासिम गोंडवी ने हसरत से कहा-
छोड़ कर सब सरो सामान चला जाता है,यादें रह जाती हैं इंसान चला जाता है।
वीरेंद्र विक्रम तिवारी बेतुक ने कहा
श्रद्धांजलि अर्पित चेतन जी करूँ, चरणों में तुम्हारे मैं शीश नवाई।
ओम प्रकाश शुक्ल ओम हिन्दवी ने दोहा पढ़ा-
साधक थे साहित्य के गंगा जमुनी धाम-चेतन जी को श्रद्धांजलि शत शत बार प्रणाम।
इसके बाद कौसर सलमानी,सगीर सिद्दीकी,रशीद माचिस,उत्तम कुमार शोला, प्रेमचंद सोनी,ईमान गोंडवी, सलीम बेदिल,निजाम अंसारी,राजू दुर्रानी ने कलाम सुनाया इस अवसर पर गुड्डू लखनवी, असहाब खान,सादिक,मुकुंद शुक्ला, संदीप शोला,जीशान आसिफ सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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