करनैलगंज। किसानों के लिए जीवन दायिनी कही जाने वाली टेढी नदी इस समय नदी के किनारों पर रहने वाले किसानों के लिये अभिषाप बन गयी है। इस सर्द मौसम में नदी का पानी बढने से नदी के किनारों पर स्थित खेत जलमग्न हो रहे है। जिससे गेंहूं, तिलहन व गन्ना जैसी फसलें पानी में डूबने से बर्बाद हो रही है। स्थानीय किसानों का आरोप है कि गोण्डा व बहराइच बार्डर के पास बने साइफन से नहर का पानी टेढी नदी में छोड़ा जा रहा है। जिससे यह समस्या आयी है।
मामला विकास खण्ड कटरा बाजार अंर्तगत पड़ने वाले फूलपुर मेहरबानाबाद के पास का है। इधर से होकर टेढी नदी गुजरती है। बार्डर के पास बने साइफन से नहर का पानी करीब एक हफते पहले टेढी नदी में छोड़ दिया गया। जिससे करीब 20 किलोमीटर के इलाके में जिन किसानों के खेत नदी के किनारे थे जल मग्न होना शुरू हो गये। किसानों ने बताया कि वैसे तो हम धान व गेहूं की फसले इन खेतों से पैदा कर लेते थे। परन्तु अब बेमौशम नदी के बढ़ने से हमारी सैकड़ो वीघे की फसलों पर खतरा आ चुका है। हमारी गेहूं व सरसों की फसलें डूब रही है।
टेढी नदी में आये पानी से विकास खण्ड कटरा बाजार के टेढीरायपुर, मेहरबानाबाद, फूलपुर, चहलवा, कोनिया, शिवगढ़, कोल्हौर, मोती सिंह मथुरा, दमोदरपुर, देवापसिया, जयरामजोत, डफाली टेपरा, नौसहरा, भुरभुसियन पुरवा, माधोपुर, कोडरी, उर्दीगोण्डा, अहिरन टेपरा जैसे अन्य तमाम गांव प्रभावित है।
यहां के किसानों ने बताया कि नहर जब से बनी है उसका सही संचालन न होने से केवल किसानों का नुकसान ही हो रहा है। चूंटीपुर के राधेश्याम, ननके, जोगी मिस्त्री, बचनू, दशरथ, रईस, गजाधर, श्यामलाल, रामदेव, वसंतलाल भुरभुसियनपुरवा व माधोपुर के धनलाल बाजपेयी, सरबस लाल बाजपेयी, प्रयागदत्त, राजकुमार, बजरंगबली मुशीं, जगदम्बा अवस्थी, आदित्य प्रसाद, सुखराज अवस्थी, दुर्गा प्रसाद, यज्ञ नरायन जैसे तमाम किसानों का आरोप है कि नहर का पानी अति शीध्र नदी में आने से रोंका जाना चाहिए।
मंगलवार को नहर का पानी नदी में आने से बढ़े जलस्तर को लेकर करीब दो दर्जन किसानों ने नारेबाजी करते हुए नहर विभाग के प्रति अपना रोष व्यक्त किया। किसानों ने कहा कि इसे जल्द न रोंका गया तो उनकी फसलें बर्बाद हो जायेगी।
जिम्मेदारों के बोल
क्यों करते है किसान नदी के किनारों पर खेती
सरयू नहर के एक्सईएन सतीश कुमार से जब इस विषय पर बात की गयी तो उन्होने कहा कि आखिर किसान नदी के किनारों पर खेती करते ही क्यों है। अब नगर का पानी नदी में नहीं जायेगा तो जायेगा ही कहां। किसानों का क्या वे तो नदी में भी घर बना लेते है। नहर हमने लोगों के खेतों को बैनामा लिया है जिससे नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। नदी के किनारों पर तो खेत ही नहीं होते है।
बोले किसान
बन्द किया जाय पानी: खजुहा निवासी जगदम्बा अवस्थी का कहना है कि नहर का पानी जल्द रोंका जाय। जिससे हमारी फसलें बच सके।
हो रही फसलें बरबाद तो नहर से क्या फायदा: भुरभुसियन पुरवा निवासी सांवली प्रसाद का कहना है कि जब नहर से सिंचाई के बदले नुकसान हो रहा है तो नहर से क्या फायदा।
हो गयी फसल चैपट: अरविन्द बाजपेयी का कहना है कि अब तो फसले चैपट ही हो गयी। कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
सरकार दे मुवावजा: राधेश्याम निशाद का कहना है कि हमारी प्रभावित फसलों का आंकलन करवा कर मुवावजा दिया जाय।
नहीं दी गयी पहले सूचना: गजाधर का कहना है कि नदी में नहर का पानी छोड़ने से पहले कोई सूचना नहीं दी गयी।
अब कैसे होगी भरपायी पाई पाई जोड़कर की थी बुवाई: उदयराज का कहना है कि किसी तरह से पाई पाई जोड़कर तो बुवाई करवायी थी। अब इसकी भरपाई कौन करेगा।