क्या बरगदी के लव कुश अश्वमेध को रोकने में होंगे कामयाब,या बजेगा श्रीराम का डंका

करनैलगंज/गोण्डा - सब जानते हैं कि अश्वमेध घोड़ा जब राम ने छोड़ा था तो चारों दिशाओं में किसी की हिम्मत नही हुई थी कि उन्हें रोक सके। लेकिन लव- कुश ने उनके घोड़े को रोक लिया था। 
 लोगों की मानें तो कुछ ऐसा ही सांसद कैसरगंज के बारे में है कि छोटे से छोटे व बड़े चुनाव में अगर इनका आशीर्वाद मिल जाये तो विजय पक्की रहती है। जिसके चलते लोग चुनाव से पहले आशीर्वाद लेने पहुँचते रहते हैं। यही नही टिकट की दावेदारी बहुत लोगों ने की लेकिन लोगों की मानें तो टिकट उन्हीं को मिला जिनको इन्होंने चाहा।

बीते वर्ष 2017 के चुनाव में जीत हार और प्राप्त मतों के आंकड़ों पर एक नजर 
                                                                                   वर्ष 2017 के सामान्य विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भईया को 82867 मत, उनके प्रतिद्वंद्वी रहे समाजवादी पार्टी से योगेश प्रताप सिंह को 54462 मत और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी संतोष तिवारी को 33241 मत मिले थे। जहां कुंवर अजय प्रताप सिंह ने बीजेपी के टिकट पर मोदी और हिंदुत्व की लहर में 28405 मतों के भारी अंतर से सपा प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह को शिकस्त देकर विजय पताका फहराया था तो वहीं बीएसपी प्रत्याशी संतोष तिवारी को मात्र 33241 मतों पर ही सन्तोष करना पड़ा। लेकिन मौजूदा 2022 के चुनाव में समय के साथ समीकरण और परिस्थितियां भी बदली नजर आईं। जिसमें दो राजनीतिक घरानों के महामिलन होने के साथ ही विगत चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे  बीएसपी के प्रत्याशी संतोष तिवारी द्वारा भी चुनाव के कुछ माह पहले समाजवादी पार्टी का दामन थाम लेने से यह चुनाव जहाँ एक ओर काफी दिलचस्प रहा वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दिग्गजों की प्रतिष्ठा का भी विषय बन गया। जिसका परिणाम आगामी 10 मार्च को सामने आने वाला है, जिसका राजनीति धुरंधरों के साथ क्षेत्र की जनता को बेसब्री से इंतजार है। 
 क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या और हुए मतदान का समीकरण

 विधानसभा निर्वाचन 2022 के क्रम में विधानसभा क्षेत्र कर्नलगंज 298 में जारी मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के अनुसार कुल मतदाताओं की संख्या 3,29,119  जिसमें पुरुष मतदाता 1,75,905, महिला मतदाता 1,53,193 एवं थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 21 थी। बीते 27 फरवरी को हुए मतदान में करीब 58.66 प्रतिशत 193185 मतदाताओं में पुरुष मतदाता 99345 व महिला मतदाताओं में 93840 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर प्रत्याशियों का भविष्य तय कर दिया है।                                                                                                              इस बार जिले की सभी सीटो पर चुनाव बहुत रोमांचकारी रहा। लेकिन सबसे ज्यादा रोमांच कर्नलगंज विधानसभा सीट पर ही दिखा। यहाँ विधायक कुँवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया का बीजेपी ने टिकट काट दिया,तो बरगदी कोट परिवार बीजेपी से नाराज हो गया। 


जानकार बतातें है कि परसपुर ब्लाक प्रमुख चुनाव जीतने के बाद से ही यहाँ व्यूह रचना शुरू हो गई थी। फिलहाल इस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी अजय सिंह पर कैसरगंज सांसद की विशेष कृपा व आशीर्वाद रहा। वहीं पार्टी से टिकट कटने के बाद अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए मौजूदा विधायक कुंवर अजय प्रताप सिंह लल्ला भईया ने बरसों से अपने प्रतिद्वंद्वी रहे योगेश प्रताप सिंह से गलबहियां कर सबको चौंका दिया और नयी पारी खेल गए। अस्वस्थ होने के बावजूद भी राजनीति की अच्छी समझ रखने वाले लल्ला भैया का यह निर्णय अप्रत्याशित रहा,और जनचर्चा का विषय बना। वहीं टिकट के प्रबल दावेदार रहे इनके दो राजकुमार कुँवर शारदेन मोहन तथा वेंकटेश मोहन भी चुनावी महासमर में कूद पड़े। चुनाव में दो घरानों का एक होना इनके कुछ विश्वसनीय समर्थकों को नागवार गुजरा और यहां से बिदक कर दूसरे खेमे में शामिल हो गये। 
चुनाव में देखा गया कि मुस्लिम वोटर सपा के साथ चिपके दिखे वहीं योगेश प्रताप सिंह के व्यक्तिगत वोट भी उनके साथ दिखे। तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी अजय सिंह भी कहीं पीक्षे नहीं दिखे,उनके साथ व्यक्तिगत कम लेकिन पार्टी के वोटरों ने भरपूर सपोर्ट कर मुकाबला काफी दिलचस्प बना दिया। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताविक कर्नलगंज में सपा के आगे रहने की उम्मीद है,तो वहीं परसपुर के मतदाताओं को कम आंकना गलतफहमी होगी,इस बार परसपुर के वोटर निर्णायक साबित होंगे। अगर वहां सपा ज्यादा पीछे रह गई तो सपा की यह सीट फंस सकती है। जानकारों की माने तो सपा प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह अगर कर्नलगंज से ज्यादा बढ़त लेकर चलते हैं तो कुँवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया के दोनों लाल का कमाल माना जायेगा और ये इस चुनावी महासमर के लव-कुश साबित होंगे,और अश्वमेध घोड़ा रोकने में कामयाब माने जायेंगे। यदि ऐसा करने में कामयाब नहीं हुए तो यहाँ श्रीराम का डंका बजेगा। अगर पूर्व की भांति ही सपा को वोट मिलता है तो यह कहने में कतई गुरेज न होगा कि राजा तो आये लेकिन सेना साथ छोड़ गई।

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