गोंडा - परिवार नियोजन स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शामिल है, इसके लिए समय-समय पर तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों को लाभार्थियों तक पहुंचाने की हर संभव कोशिश विभाग द्वारा की जाती रहती है | लोगों में परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से ही “विश्व जनसंख्या दिवस” 11 जुलाई के अवसर पर दो अलग-अलग पखवाड़ों में “विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा” देश भर में मनाया जा रहा है |
डीसीपीएम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखने के लिए कई तरह के अस्थायी गर्भ निरोधक साधन लाभार्थियों की पसंद के मुताबिक स्वास्थ्य इकाईयों पर उपलब्ध हैं | इसमें एक प्रमुख साधन है - पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपी आईयूसीडी) जो कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर लगता है और जब दूसरे बच्चे का विचार बने, तो महिलाएं इसको आसानी से निकलवा भी सकती हैं | अनचाहे गर्भ से लंबे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाओं के बीच इस कोरोना काल (कोविड-19) में भी पीपी आईयूसीडी को बेहद पसंद किया गया |
लाभार्थियों को परिवार कल्याण के बारे में जागरूक करने में आशा कार्यकर्ता और एएनएम की प्रमुख भूमिका रहती है | इस वित्तीय वर्ष 2020-21 की शुरुआत ही कोरोना के चलते लॉकडाउन से हुई, फिर भी जिले की महिलाओं ने संस्थागत प्रसव के तुरंत बाद इस विधि को अपनाने में खास दिलचस्पी दिखाई | उन्होंने बताया कि जिले में अप्रैल से जून माह के बीच 1498 महिलाओं ने यह अस्थायी साधन अपनाया |
डीसीपीएम डॉ आरपी सिंह ने कहा कि लोगों को लगातार जागरुक करने का प्रयास रहता है कि 'छोटा परिवार-सुखी परिवार' के नारे को अपने जीवन में उतारने में ही सभी की भलाई है | इसके लिए उनके सामने 'बास्केट ऑफ च्वाइस' मौजूद है, उनके फायदे के बारे में भी सभी को अच्छी तरह से अवगत कराया जाता है |
डीपीएम अमरनाथ ने कहा कि मातृ एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर अवश्य रखना चाहिए | उससे पहले दूसरे गर्भ को धारण करने योग्य महिला का शरीर नहीं बन पाता और पहले बच्चे के उचित पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बहुत जरूरी होता है | उन्होंने बताया कि इसके लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन तक उचित गर्भ निरोधक सामग्री पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी दक्ष करने का प्रयास किया जाता है।
पीपी आईयूसीडी को जानिए :
जिला फैमिली प्लानिंग एवं लॉजिस्टिक मैनेजर सलाहुद्दीन लारी के अनुसार, प्रसव के 48 घंटे के अंदर यानि अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले महिला आईयूसीडी लगवा सकती है | एक बार लगने के बाद इसका असर पांच से दस साल तक रहता है | बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने की यह लंबी अवधि की विधि बहुत ही सुरक्षित और आसान भी है | यह गर्भाशय के भीतर लगने वाला छोटा उपकरण है, जो कि दो प्रकार का होता है- पहला कॉपर आईयूसीडी 380, जिसका असर दस वर्षों तक रहता है, दूसरा है- कॉपर आईयूसीडी-375, जिसका असर पांच वर्षों तक रहता है।
Tags
Gonda