मनुष्य को मन, वाणी व मस्तिष्क की हिंसा को त्याग देना चाहिए-आचार्य रसराज मृदुल,कथा श्रवण में श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब

करनैलगंज/गोण्डा(रमेश पाण्डेय)। सरयू नदी के तट कटरा घाट पर चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा भक्ति ज्ञानयज्ञ में भारी संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं। श्री राधे राधे, श्री कृष्णा के जयकारों से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो रहा है। करनैलगंज नगर से तीन किलोमीटर दूर सरयू तट पर इस कथा का आयोजन चल रहा है। जिसमें अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य रसराज मृदुल महाराज का प्रवचन कार्यक्रम प्रतिदिन शाम से देर रात्रि तक चलता है। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट रही है। आने वाले भक्त प्रवचन सुनने के साथ प्रतिदिन चल रहे भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते हैं। सोमवार की रात्रि में प्रवचन कार्यक्रम में आचार्य ने कहा कि जब बच्चा पैदा होता है तो वो रोता है सब हँसते हैं। मनुष्य को काम ऐसा करना चाहिए कि जब वह हंसे तो उसकी अच्छाई पर जग रोये। उन्होंने प्रसंग में कहा कि रामनाम सत्य है इस मंत्र का उच्चारण मरने के बाद नही, इसका उच्चारण प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा करना चाहिए। इससे विचलित मन को सुकून व शांति मिलती है। अगर आज कुछ सच है तो भगवान का नाम ही सत्य है। जिसके मुख से राम का नाम निकलता है वो ही जीवित है। मरने के बाद राम का नाम लेना व्यर्थ है। आचार्य ने कहा मन ही मोक्ष का कारण होता है। मन ही भगवान के चरणों मे खड़ा कर देता है। मन को वश में करना सीख लिया तो मोक्ष निश्चित है। मन अगर भोग विलास में लगाया तो मोक्ष कहां मिलने वाला है। 
उन्होंने कहा कि शारीरिक योग करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। मगर असल योग के आठ (अष्टांग) अंग हैं जो अष्टांग योगमार्ग पर चलता है तो पूरा जीवन सुखी हो जाएगा। मनुष्य को मन, वाणी व मस्तिष्क की हिंसा को त्याग देना चाहिए तभी भगवत प्राप्ति हो सकती है। अगर हिंसा को शरीर से निकाल दिया जाए तो सबका मन भगवत प्रेम में लगेगा। क्षण भर भगवत नाम जप से व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाएगा। इस मौके पर संतोष कुमार जायसवाल, प्रकाश जायसवाल, राजेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, महेश गुप्ता, समीर गुप्ता, मुकेश सोनी, अरविंद कुमार शुक्ला, उमेश मिश्रा, गिरीश शुक्ला, हृदय नारायण मिश्र, अशोक कुमार सिंघानिया, कृष्ण गोपाल वैश्य, डा.जेपी राव, डॉ रतन शुक्ला आदि सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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